Last Updated: Tuesday, August 21, 2012, 18:57
नई दिल्ली : कोयला खंड आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रपट पर संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए सरकार ने मंगलवार को विपक्ष पर हमला किया। सरकार ने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर बहस से भाग रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि कोल खंड आवंटन के मुद्दे पर बहस से विपक्ष भाग क्यों रहा है?
ज्ञात हो कि मंगलवार को विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग की और सदन की कार्यवाही बाधित की, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। सीएजी की रपट में कहा गया है कि कोयला खण्ड आवंटन में पारदर्शिता के अभाव के कारण निजी कम्पनियों को लाभ हुआ, क्योंकि 2005-2009 के दौरान कोयला खण्डों का विवेकाधीन आवंटन किया गया।
नारायणसामी के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता मुरली मनोहन जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) सीएजी रपट की जांच करेगी। नारायणसामी ने कहा कि विपक्ष पीएसी रपट का इंतजार किए बगैर संसद की कार्यवाही बाधित कर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है।
नारायणसामी ने कहा कि यह केवल अनुमानित नुकसान है और यह वास्तविक आकड़ा नहीं है। नारायणसामी ने सीएजी विनोद राय पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि सीएजी सरकार की नीतियों पर सवाल नहीं उठा सकते। यह संस्था केवल अकाउंट की जांच कर सकती है। नारायणसामी के अनुसार, भाजपा शासित दो राज्यों मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान राजस्थान और मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ के अलावा वाममोर्चा सरकार के तहत पश्चिम बंगाल ने कोयला खण्डों की नीलामी किए जाने के खिलाफ केंद्र सरकार को लिखा था। नारायणसामी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर आरोप लगाया कि उसने 2003 में 24 कोयला खण्डों को मनमाने तरीके से दे दिया था और इसके लिए निजी कम्पनियों से आवेदन तक नहीं आमंत्रित किया गया था।
उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने कोयला खण्ड आवंटन के लिए विज्ञापन जारी करने और आवेदन आमंत्रित करने सहित सभी उचित प्रक्रियाओं का पालन किया था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 21, 2012, 18:57