Last Updated: Sunday, October 28, 2012, 13:30

नई दिल्ली : पत्रकार के रूप में करियर की शुरूआत कर इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के सानिध्य में कांग्रस संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके तारिक अनवर आज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल हुए।
संसद में छठे कार्यकाल के बावजूद राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेने की मजबूरी संप्रग की कोटा पद्धति के कारण है जिसमें सांसदों की संख्या के आधार पर मंत्रिपद तय होते हैं, न की गुणवत्ता के आधार पर। तारिक अनवर आपातकाल में बिहार युवक कांग्रेस और इंदिरा गांधी की हत्या व दंगों के दौरान राष्ट्रीय युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के बावजूद विवादों से परे रहे, उसके पीछे उनका राजनीतिक मर्यादाओं की सीमा में अपने को सीमित रखने का संकल्प रहा।
कांग्रेस संगठन में अध्यक्ष को छोड़ लगभग सारी भूमिकाएं निभा चुके तारिक अनवर राकांपा के संस्थापकों में से हैं और फिलहाल पार्टी के महासचिव की भूमिका निभा रहे हैं। उनकी वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शरद पवार के साथ संबद्ध करना लगभग तय है। चार बार बिहार के कटिहार से लोकसभा चुनाव जीत चुके तारिक अनवर फिलहाल दो बार से महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य हैं।
जाने माने मुस्लिम नेता होने के बावजूद उन्होंने अपने आप को कभी भी सम्प्रदायिक सोच से नहीं बांधा और आज उन्होंने हिन्दी में ‘सत्यनिष्ठा’ के नाम पर शपथ ली। लम्बे राजनीतिक जीवन में तारिक किसी भी तरह के लांछन से बचे रहे हैं। मंजे हुए नेता तारिक का जन्म 16 जनवरी 1951 को बिहार के पटना में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार में हुआ था। उनके दादा बैरिस्टर शाह जुबैर जाने माने स्वतंत्रता सेनानी और डा. राजेन्द्र प्रसाद के करीबी सहयोगी थे।
तारिक अनवर ने अपने करियर की शुरूआत एक पत्रकार के रूप में की और बाद में राजनीति में आए। आपातकाल के बाद जनता पार्टी के शासन के दौरान 1977-80 तक वे बिहार राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
1980 में कांग्रेस के सत्ता में वापस आने पर इंदिरा गांधी ने उन्हें अखिल भारतीय युवक कांग्रेस का महासचिव और बाद में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का संयुक्त सचिव बनाया। इसके बाद तारिक को अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और इस पर वे तीन साल से अधिक समय तक रहे। इंदिरा गांधी की हत्या के समय तारिक अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उस समय सिख विरोधी दंगों के दौरान युवक कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में राहत एवं पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तारिक राजीव गांधी के काफी करीबी थे। राजीव ने पहले उन्हें कांग्रेस सेवा दल का अध्यक्ष और फिर बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बनाया।
बिहार में सत्येंद्र नारायण सिन्हा के मुख्यमंत्री रहते तारिक को 1988 और 1989 में दो बार कैबिनेट मंत्री बनाने की पेशकश की गई लेकिन सौम्य स्वभाव के तारिक ने दोनों बार संगठन के कार्यो को तवज्जो दी और मंत्रिपद स्वीकार करने से मना कर दिया।
तारिक वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीताराम केसरी के काफी करीबी थे। जब केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने तब तारिक को कांग्रेस अध्यक्ष का राजनीतिक सचिव बनाया गया। उन्हें कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में कांग्रेस कार्य समिति का सदस्य चुना गया और कांग्रेस महासचिव नियुक्त किया गया।
सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद तारिक को पार्टी महासचिव बनाया। तारिक अनवर ने गांधी परिवार के तीन दिग्गज इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के साथ काम किया।
शरद पवार ने जब कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी :राकांपा: की स्थापना की तब तारिक उसके संस्थापक सदस्यों में शामिल थे और उन्हें राकांपा का महासचिव बनाया गया। अभी वह राकांपा के राज्य सभा सदस्य है। अपनी संगठनात्मक क्षमता के लिए जाने जाने वाले तारिक अनवर ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 28, 2012, 13:30