Last Updated: Tuesday, January 17, 2012, 14:28
नई दिल्ली : भारत और चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति कायम रखने के लिए संबंधित मुद्दों से निबटने की खातिर सीमा प्रबंधन पर एक कार्य तंत्र स्थापित करने पर मंगलवार को सहमत हुए।
चीनी प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ ने इस तंत्र का विचार दिया था। इसे सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन और चीनी स्टेट कॉंसिलर दाई बिन्गुगो) की 5वीं बैठक में यहां अंतिम रूप दिया गया। भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय की खातिर कार्य समूह स्थापित करने के फैसले पर चीन में भारतीय राजदूत एस. जयशंकर और चीन के सहायक विदेश मंत्री लीउ झेनमिन ने हस्ताक्षर किए।
कार्य समूह परस्पर सहमत कार्यों पर विचार करेगा लेकिन सीमा संबंधी सवालों के हल पर विचार नहीं करेगा या विशेष प्रतिनिधि प्रक्रियाओं को प्रभावित नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी और चीनी विदेश मंत्रालय में महानिदेशक स्तर के एक अधिकारी इसके प्रमुख होंगे। तंत्र में दोनों पक्षों के सैन्य अधिकारी और राजनयिक भी शामिल होंगे।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी समझौते के मूलपाठ के अनुसार कार्य तंत्र उन मुद्दों और स्थितियों पर विचार करेगा जो सीमा क्षेत्रों में सामने आ सकते हैं और जिससे शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा तंत्र दोनों देशों के बीच दोस्ताना माहौल बनाए रखने की दिशा में भी काम करेगा। यह तंत्र सीमावर्ती क्षेत्रों में दोनों देशों के प्रतिष्ठानों और रक्षा कर्मियों के बीच सहयोग और आदान प्रदान को मजबूत बनाने के तरीकों का भी अध्ययन करेगा। यह सीमा क्षेत्रों में सहयोग की संभावना की भी तलाश करेगा।
दो दिवसीय वार्ता के दौरान विशेष प्रतिनिधि इस बात पर सहमत हुए कि सीमा मुद्दे पर उनके बीच हुई बातचीत में अब तक की प्रगति का संयुक्त रिकार्ड तैयार किया जाएगा। विशेष प्रतिनिधि तंत्र 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चीन यात्रा के दौरान स्थापित किया गया था और दाई तथा तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र विशेष प्रतिनिधि बनाए गए थे।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 17, 2012, 20:06