सीमा प्रबंधन तंत्र को अंतिम रूप देंगे भारत-चीन - Zee News हिंदी

सीमा प्रबंधन तंत्र को अंतिम रूप देंगे भारत-चीन



नई दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन सीमा मुद्दे के हल के लिए इस साल के अंत तक नए सीमा प्रबंधन तंत्र को अंतिम रूप दे देंगे। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि सीमा विवाद 1962 से लंबित है। दोनों सरकारों ने नया सीमा प्रबंधन तंत्र स्थापित करने का फैसला किया है। तैयारियां पूरी हो गई हैं और इस साल के अंत तक हम इसे अंतिम रूप दे देंगे।

 

एंटनी से चीनी मीडिया की खबरों के बारे में पूछा गया था जिनमें कहा गया है कि भारत चीन को विरोधी मानता है। एंटनी इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) के 47वें स्थापना दिवस के मौके पर के. सुब्रमण्यम पुरस्कार देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि नए सीमा प्रबंधन तंत्र से सीमा पर यदाकदा पैदा होने वाली समस्याओं का हल किया जा सकेगा।

 

भारत और चीन सीमा विवाद को हल करने के लिए एक दूसरे से  बातचीत कर रहे हैं और इस संबंध में कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि सीमा पर किसी घुसपैठ की स्थिति में नए तंत्र के तहत दोनों पक्षों द्वारा तुरंत संपर्क सुनिश्चित हो सकेगा।

 

उधर, रक्षा मंत्री एंटनी ने आज स्पष्ट कर दिया कि 126 लड़ाकू विमानों के अरबों डॉलर के सौदा के फैसले में राजनीति का दखल नहीं होगा। दो कंपनियों की बोली की शुरुआत के साथ ही यह सौदा अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है। मीडियम-मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एम-एमआरसीए) के टेंडर में अब दो कंपनियां यूरोपीय यूरो फाइटर और फ्रांसीसी दसॉल्त रफाले बची हैं और मंत्रालय ने उनकी व्यापारिक बोलियां चार नवंबर को खोली हैं।

 

रक्षा मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि रक्षा खरीदारी में कोई राजनीतिक विचार विमर्श नहीं होगा और हमारे इस रुख को हर कोई जानता है। वह इतने बड़े सौदे के फैसले में भू-राजनीतिक पहलुओं की भूमिका पर सवाल का जवाब दे रहे थे। एंटनी ने कहा कि जहां तक उनके मंत्रालय का संबंध है, रक्षा खरीदारी एकदम पेशेवर है और कीमत पर आधारित है। तकनीकी मूल्यांकन 101 प्रतिशत पेशेवर है और उसके बाद कीमत का नंबर आता है। यूरोफाइटर टायफून लड़ाकू विमान बोली में चार साझेदार जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और स्पेन शामिल हैं, जबकि रफाले बोली फ्रांसीसी सरकार की है।

 

अप्रैल में रक्षा मंत्रालय ने दो विमानों का चयन किया था जबकि अमेरिकी लॉकहीड मार्टिन और बोइंग, रूसी मिग 35 तथा स्विडिश साब सहित चार कंपनियों को अस्वीकार कर दिया था। बोली की शुरुआत करने के बाद रक्षा मंत्रालय अब सबसे कम बोली लगाने वाले का पता लगाने के लिए दोनों विमानों की लाइफ साइकल कॉस्ट (एलसीसी) के निर्धारण की प्रक्रिया में व्यस्त है, जिस पर सौदा आधारित होगा।

(एजेंसी)

First Published: Saturday, November 12, 2011, 11:36

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