Last Updated: Thursday, August 1, 2013, 20:21

हैदराबाद/नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश से अलग पृथक तेलंगाना को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की समन्वय समिति तथा कांग्रेस कार्य समिति से मंजूरी मिलने के बाद सीमांध्र (रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश) में गुरुवार को भी इसके विरोध में प्रदर्शनों का दौर जारी रहा। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि नए राज्य तेलंगाना के गठन की प्रक्रिया पूरी होने में करीब छह माह का वक्त लगेगा। वहीं, मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और पुलिस से भी प्रदर्शनकारियों से निपटने के दौरान संयम से काम लेने के लिए कहा।
शिंदे ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि नए राज्य तेलंगाना का गठन संविधान के अनुसार होगा। इस प्रक्रिया में साढ़े पांच माह से छह माह तक का वक्त लगेगा। इस मुद्दे को लेकर कोई सर्वदलीय बैठक नहीं होगी, बल्कि लोग सीधे सरकार को अपनी सलाह दे सकेंगे।
शिंदे ने बताया कि उनका मंत्रालय जल्द की इस मुद्दे पर मंत्रिमंडल में प्रस्ताव लाएगा और वहां इसके मंजूर हो जाने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, जो इसे निश्चित समय में मंजूरी के लिए आंध्र प्रदेश विधानसभा के पास भेजेंगे। राज्य विधानसभा से पारित हो जाने के बाद प्रस्ताव को फिर राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, जो इसे संसद में मंजूरी के लिए भेजेंगे। संसद से मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव को वापस राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और उनकी स्वीकृति मिलने के बाद नया राज्य अस्तित्व में आएगा। अलग तेलंगाना राज्य के गठन पर प्रस्ताव नवंबर में प्रस्तावित संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है।
उधर, आंध्र प्रदेश के बंटवारे के विरोध में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सीमांध्र क्षेत्र में प्रदर्शनों एवं बंद का दौर जारी रहा। सभी बड़े शहरों में दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और शिक्षण संस्थान बंद रहे और बसें भी नहीं चलीं।
आंध्र के बंटवारे का फैसला वापस लेने की मांग करते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। कडप्पा, अनंतपुर तथा कुरनूल जिलों से हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं, जहां प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई।
कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्रियों, दिवंगत इंदिरा गांधी और दिवंगत राजीव गांधी की मूर्तियां भी तोड़ डाली। उन्होंने सड़कों पर टायर और कांग्रेस नेताओं के पुतले भी जलाए। प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह सड़क व रेल मार्ग भी जाम किया।
आंध्र प्रदेश को एकजुट रखने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के मद्देनजर तीन विधायकों ने इस्तीफे दे दिए, जबकि कई अन्य ने भी इस्तीफा देने का निर्णय लिया। ऐसे कांग्रेस विधायकों की संख्या 26 और राज्य सरकार में शामिल मंत्रियों की संख्या 15 बताई जा रही है।
इस बीच, मुख्यमंत्री रेड्डी ने मुख्य सचिव पी. के. मोहंती, पुलिस महानिदेशक वी. दिनेश रेड्डी तथा अन्य शीर्ष नेताओं के साथ स्थिति की समीक्षा करने के बाद निर्देश दिया कि राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएं, लेकिन इस दौरान संयम व सावधानी बरती जाए।
प्रदर्शनकारियों में शामिल छात्रों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पेशेवर लोगों, शिक्षकों और वकीलों ने 'जय समैक्य आंध्र' व 'युनाइटेड आंध्र' का नारा लगाते हुए रैली निकाली। रायलसीमा के कडप्पा, अनंतपुर, चित्तूर और कुरनूल एवं तटीय आंध्र के विभिन्न हिस्सों में राज्य सड़क परिवहन निगम (एपीएसआरटीसी) की बसें डिपो से बाहर नहीं निकल पाईं।
अनंतपुर, कडप्पा, कुरनूल, तिरुपति , चित्तूर, नेल्लोर, विजयवाड़ा, गुंटुर, एलुरु काकिनाड़ा, राजाहमुंदरी, विशाखापटनम, विजयनगर और अन्य शहरों में प्रदर्शन हुए। विजयवाड़ा में विजयवाड़ा थर्मल पावर स्टेशन (वीटीपीएस) के कर्मचारियों ने भी प्रदर्शन किया। उन्होंने हड़ताल की चेतावनी दी है, जिससे राज्य में विद्युत आपूर्ति बाधित हो सकती है। वीटीपीएस राज्य की 40 फीसदी बिजली की आवश्यकता पूरी करता है।
समैक्य आंध्र संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) ने सीमांध्र में बंद और प्रदर्शन का आह्वान किया। जेएसी नेताओं का कहना है कि संयुक्त आंध्र पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जेएससी के एक नेता ने कहा कि हम हैदराबाद और तेलंगाना के अन्य हिस्से में रहने वाले 90 लाख लोगों के हितों और सलामती के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 1, 2013, 18:23