Last Updated: Wednesday, February 6, 2013, 18:11
नई दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग ने पुलिस बलों में व्यापक सुधार की आज वकालत की। उन्होंने कहा कि 150 साल पुराना अधिनियम पुलिस को कानून लागू करने वाली एजेंसी के बजाय सरकार का एजेंट बनाता है।
सतर्कता आयुक्त आर. श्रीकुमार ने कहा कि राज्य के प्रमुख अंग के तौर पर पुलिस को विधि के शासन को लागू करना होता है, लेकिन 1861 का पुलिस अधिनियम जो अब भी देश में पुलिस की रीढ़ है वह पुलिस को कानून के एजेंट की बजाय सरकार का एजेंट बनाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुलिस आयोग द्वारा मसौदा तैयार किए जाने के 30 साल बाद भी ज्यादातर राज्य आदर्श पुलिस अधिनियम का पालन करने में विफल रहे हैं।
सतर्कता आयुक्त ने एक साक्षात्कार में कहा कि स्वतंत्रता के छह दशक बाद, राष्ट्रीय पुलिस आयोग द्वारा आदर्श पुलिस अधिनियम का मसौदा तैयार करने के चार दशक बाद और कई समितियों और आयोगों के पुलिस सुधार की आवश्यकता का समर्थन करने के बाद तकरीबन 30 राज्यों में से बमुश्किल एक दर्जन ने बिना किसी डर-भय के पुलिस संबंधी कानून में कोई बदलाव किया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 6, 2013, 18:11