Last Updated: Thursday, January 5, 2012, 11:18

नई दिल्ली : 1993 के धोखाधड़ी मामले में दोषी पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुखराम को भारी झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्हें निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा ताकि उनकी तीन साल जेल की सजा की तामील हो सके।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया, जिसने सुखराम को दोषी ठहराते हुए जेल की सजा सुनाई थी। शीर्ष अदालत ने उनके सहयोगियों पूर्व नौकरशाह रूनू घोष और निजी दूरसंचार फर्म के प्रबंध निदेशक पी रामा राव को भी कोई राहत देने से इनकार कर दिया और उनसे आत्मसमर्पण करने को कहा ताकि उनकी सजा की तामील हो सके।
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और जे चेलामेश्वर की पीठ ने तीनों को कोई राहत देने से इंकार करते हुए कहा कि गुरुवार शाम तक अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद ही उनकी याचिकाओं पर विचार किया जाएगा।
पूर्व मंत्री और बाकी लोगों को दूरसंचार उपकरणों की आपूर्ति का ठेका हैदराबाद स्थित एडवांस्ड रेडियो मास्ट्स (एआरएम) कंपनी को देकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने की आपराधिक साजिश का हिस्सा बनने का दोषी ठहराया गया है। इस फर्म ने उंचे दामों पर घटिया सामान की आपूर्ति की।
सुखराम और एआरएम के प्रबंध निदेशक पी रामा राव को तीन तीन साल जेल की सजा सुनाई गई, जबकि दूरसंचार विभाग की पूर्व उप महानिदेशक रूनू घोष को 1993 के दूरसंचार घोटाला मामले में उनकी भूमिका के लिए दो वर्ष जेल की सजा सुनाई गई।
सुखराम ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के 21 दिसंबर के उक्त आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया था, जिसने मामले में उनकी दोषसिद्धि को सही ठहराया था। रूनू और राव ने हाईकोर्ट के आदेश पर तुरंत स्थगन लेने के लिए पहले ही शीर्ष अदालत में अर्जी लगा दी थी।
उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने तीनो आरोपियों को पांच जनवरी यानी गुरुवार को ही निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा ताकि उन्हें तीन साल जेल की सजा की तामील हो सके। (एजेंसी)
First Published: Thursday, January 5, 2012, 16:48