Last Updated: Thursday, January 5, 2012, 14:02

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम को 1993 के दूरसंचार घोटाले के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली और शीर्ष अदालत ने उन्हें सुनाई गयी तीन साल कैद की सजा के सिलसिले में निचली अदालत के समक्ष समर्पण करने का आदेश दिया लेकिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वह पेश नहीं हुए।
86 वर्षीय सुखराम ने समर्पण नहीं करने के पीछे सेहत संबंधी कारण बताए। सुखराम के वकील ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश धर्मेश शर्मा से कहा कि उन्होंने हृदय संबंधी समस्या के चलते एंजियोग्राफी कराई है और अस्पताल में हैं।
हालांकि मामले में दो अन्य दोषियों पूर्व नौकरशाह रूनू घोष व हैदराबाद के व्यापारी पी रामाराव ने न्यायाधीश के समक्ष समर्पण किया और उन्हें जेल भेज दिया गया।
इससे पहले, दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 1996 के दूरसंचार उपकरण खरीद घोटाले में पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम का आत्मसमर्पण गुरुवार को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया। अस्पताल में इलाज के कारण गुरुवार को 84 वर्षीय सुखराम अदालत में पेश नहीं हुए।
अदालत ने इस मामले में दो अन्य आरोपियों, दूरसंचार विभाग के पूर्व उप महानिदेशक रूनु घोष तथा हैदराबाद स्थित कम्पनी एडवांस्ड रेडियो मास्त्स के प्रबंध निदेशक पी. रामा राव को हिरासत में लेने का आदेश भी दिया।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर को सुखराम को तीन साल की कैद की निचली अदालत की सजा बरकरार रखी थी। न्यायालय ने घोष और राव को दो साल कारावास की सजा पर भी मुहर लगाई थी। दोषी ठहराए गए उक्त सभी जमानत पर बाहर थे। यह घोटाला हैदराबाद स्थित एक कंपनी को सरकार को बेहद ऊंची दर पर संचार उपकरणों की आपूर्ति के लिए ठेका दिए जाने से सम्बंधित है।
First Published: Thursday, January 5, 2012, 21:51