सुधार के लिए प्रणालियों-संस्थाओं में बदलाव जरुरी: राष्ट्रपति

सुधार के लिए प्रणालियों-संस्थाओं में बदलाव जरूरी: राष्ट्रपति

सुधार के लिए प्रणालियों-संस्थाओं में बदलाव जरूरी: राष्ट्रपतिनई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाने की वकालत करते हुए आज आगाह किया कि तेजी से हो रहे बदलावों पर अगर सरकारों और विधानसभाओं ने गंभीरता से विचार नहीं किया तो देश की प्रणालियां और संस्थाएं अपर्याप्त और अनुपयोगी साबित हो सकती हैं।

बुधवार को शीर्ष संवैधानिक पद का अपना कार्यकाल पूरा करने जा रहीं प्रतिभा पाटिल ने संसद सदस्यों की ओर से उन्हें आज दिए गए विदाई समारोह में यह विचार व्यक्त किये।

संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा, पिछले दो दशकों के दौरान, कुछ तेज़ी से हो रहे बदलाव से हम गुज़र रहे हैं । हम, सूचना विस्फोट, तकनीकी नवोन्मेष, आर्थिक खुशहाली में वृद्धि, बढ़ते हुए उपभोक्तावाद और इस बीच, जीवन-मूल्यों के ह्रास के खतरे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, सरकारों और विधानसभाओं को, इन सभी बदलावों पर गंभीरता से विचार करना होगा। यदि इन पर हमने ध्यान नहीं दिया तो हमारी प्रणालियां और संस्थाएं अपर्याप्त और अनुपयोगी हो सकती हैं।
चुनाव प्रक्रिया पर असंतोष जताते हुए राष्ट्रपति ने कहा, मैं यह मानती हूं कि एक और महत्वपूर्ण बात है और वह है चुनावी प्रक्रिया में सुधार लाना।

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, दोनों सदनों के विपक्ष के नेता, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार सहित विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेताओं केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों की उपस्थिति के बीच उन्होंने कहा, मैं आप सबसे यह भी आग्रह करूंगी कि समाजिक मुद्दों पर रचनात्मकता से विचार करके उनमें भी सकारात्मक सोच व बदलाव लाएं।

सांसदों की ओर से विदाई दिये जाने के अवसर पर भावुक प्रतिभा पाटिल ने कहा कि जुलाई 1987 में जब वह राज्यसभा की उपसभापति थी तब उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन के शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर उनके अभिभाषण का हिंदी अनुवाद पढा था । उन्होंने कहा, लेकिन तब मुझे यह पता नहीं था कि 20 साल बाद, मैं खुद राष्ट्रपति के रूप में यहां शपथ लूंगी । उन्होंने सांसदों द्वारा उन्हें दिये गये आदर और सम्मान के लिए हार्दिक अभार व्यक्त किया ।

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सांसदों की ओर से पढे गये विदाई संदेश में कहा, जब आप भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन थीं वह पल हम सबके लिए अत्यधिक गर्व का पल था क्योंकि पहली बार एक महिला हमारे राष्ट्रप्रमुख के पद पर आसीन हुई थी । उन्होंने कहा, आप कभी किसी चुनाव में पराजित नहीं हुई जिससे आम आदमी के कल्याण के प्रति आपकी प्रतिबद्धता प्रमाणित होती है । इस मौके पर मीरा कुमार ने सांसदों की ओर से उन्हें एक स्क्राल भेंट किया जिसपर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के हस्ताक्षर थे, जबकि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उन्हें एक स्मृति चिन्ह भेंट किया । पाटिल ने हिंदी में पढे अपने विदाई भाषण को शेर से पूरा किया ।

‘‘खुद यकीं होता नहीं जिनको अपनी मंजिल का, उनको राह के पत्थर कभी रास्ता नहीं देते।“ (एजेंसी)

First Published: Monday, July 23, 2012, 20:16

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