सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिक खलील चिश्ती को रिहा किया

सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिक खलील चिश्ती को रिहा किया

सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिक खलील चिश्ती को रिहा कियानई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने उम्र एवं योग्यता का ख्याल करते हुए पाकिस्तानी वायरोलॉजिस्ट मोहम्मद खलील चिश्ती को रिहा करने का आदेश दिया और उन्हें स्वदेश लौटने के लिए आवश्यक यात्रा दस्तावेज मुहैया कराने का निर्देश दिया। चिश्ती को राजस्थान में वर्ष 1992 में एक हत्या के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसे उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति पी. सतशिवम और रंजन गोगोई की खंडपीठ ने बुधवार को कहा, "हमारा मानना है कि वह जो समय जेल में बिता चुके हैं वहीं तक सजा सीमित करने से न्याय हो जाएगा।"

न्यायमूर्ति पी. सतशिवम ने कहा, "उनके जुर्म पर विचार करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि वह केवल आईपीसी की धारा 324 के तहत दोषी सिद्ध हो सकते हैं। उनकी उम्र एवं 14 अप्रैल 1992 से नौ मई 1992 और 31 जनवरी 2011 से 12 अप्रैल 2012 के मध्य हिरासत में बिताई गई अवधि को देखते हुए हमारा मानना है कि सजा को इसी अवधि तक सीमित करने से न्याय हो जाएगा।"

निर्णय सुनाते हुए न्यायमूर्ति सतशिवम ने कहा कि चिश्ती बिनी किसी प्रतिबंध के अपने देश जाने के लिए स्वतंत्र हैं।

न्यायालय ने कहा कि यदि चिश्ती का पासपोर्ट या फिर अन्य कुछ भी स्थानीय अदालत या सरकारी विभाग में जमा हो उसे तुरंत उन्हें लौटाया जाए ताकि वह (चिश्ती) बिना किसी बाधा के अपने घर वापस जा सकें।

चिश्ती की उम्र और योग्यता को देखते हुए न्यायालय ने सम्बद्ध सरकारी विभाग को उन्हें बिना किसी परेशानी के पाकिस्तान भेजना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

न्यायालय ने अपने पंजीकरण कार्यालय को भी ब्याज सहित पांच लाख रुपये चिश्ती को लौटाने के निर्देश दिए, जो उन्होंने मई, 2012 के आदेश के बाद जमा करए थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने 10 मई को चिश्ती को पाकिस्तान के कराची में अपने घर जाने की अनुमति दी थी। उस वक्त उनकी अपील लम्बित थी। इसके बाद वह जल्द ही अजमेर लौट गए थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल को उन्हें जमानत दी थी। करीब 18 वर्ष चले मुकदमे के बाद उन्हें वर्ष 2010 में हत्या का दोषी करार दिया गया था।

उन्हें अप्रैल 1992 में अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर नमाज के दौरान झगड़े में एक व्यक्ति को जान से मार दिए जाने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, December 12, 2012, 11:40

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