Last Updated: Wednesday, April 4, 2012, 08:42
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली : फिल्म-निर्माता सुभाष घई को करारा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बंबई हाईकोर्ट के उस आदेश पर मुहर लगाकर घई की याचिका खारिज कर दी, जिसमें मुंबई की फिल्मसिटी में उनके ‘व्हिसलिंग वुड्स इंस्टीट्यूट’ के लिए 20 एकड़ जमीन के आवंटन को रद्द करने का फैसला सुनाया गया था। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और सीके प्रसाद की सदस्यता वाली पीठ ने 2004 में जमीन आवंटित करने के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की भी यह कहते हुए खिंचाई की कि सरकारी जमीन देने के लिए मुख्यमंत्री झुक नहीं सकते और न ही नियमों को ताक पर रख सकते हैं।
पीठ ने कहा कि किसी के साथ इस तरह से पेश नहीं आया जा सकता कि वह काफी खास हो और जिसे सरकारी जमीन देने के लिए मुख्यमंत्री झुक सकते हों या नियमों की अनदेखी कर सकते हों। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जमीन आवंटन में पारदर्शिता की कमी है क्योंकि देशमुख से पहले के मुख्यमंत्रियों ने परियोजना को मंजूरी नहीं दी थी। पीठ ने कहा कि एक मामूली रकम के लिए राज्य सरकार ने अपने खास आदमी को जमीन दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले उन याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था, जिनकी याचिका पर उच्च न्यायालय ने घई को उनके संस्थान के लिए मिली जमीन राज्य सरकार को वापस लौटाने का आदेश दिया था। फैसले में कहा गया कि आप एक महान फिल्मकार होंगे, लेकिन यहां और भी महान फिल्मकार हैं। आप ही को क्यों चुना गया? इसमें पारदर्शिता जरूर होनी चाहिए।
घई की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि इंस्टीट्यूट में पहले ही 50 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश किए जा चुके हैं और इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए। रोहतगी ने कहा कि घई को कम से कम लीज पर ही जमीन दे देनी चाहिए। बहरहाल, पीठ पर रोहतगी की दलीलों का कोई असर नहीं हुआ। पीठ ने कहा कि वह जमीन की नीलामी प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले उन लोगों को नोटिस जारी किया, जिनकी याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय ने घई को आदेश दिया था कि वह अपने ‘व्हिसलिंग वुड्स इंस्टीट्यूट’ को आवंटित जमीन राज्य सरकार को वापस कर दें।
First Published: Wednesday, April 4, 2012, 16:50