Last Updated: Wednesday, August 17, 2011, 12:09

- न्यायाधीश सौमित्र सेन
कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही बुधवार को शुरू हो गई. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद सीताराम येचुरी ने राज्यसभा में न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया.
देश के इतिहास में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी के बाद सेन दूसरे ऐसे न्यायाधीश हैं, जिन्हें महाभियोग की कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है. न्यायमूर्ति रामास्वामी के खिलाफ मई 1993 में महाभियोग की कार्यवाही हुई थी.
येचुरी ने एक जोरदार वक्तव्य में कहा कि यह प्रस्ताव एक खास न्यायाधीश के खिलाफ है, न्यायपालिका के खिलाफ नहीं. न्यायपालिका को भारतीय संविधान में एक केंद्रीय स्थान प्राप्त है और यह संस्थान उच्च सम्मान रखता है.
राज्यसभा में मौजूद न्यायमूर्ति सेन को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से अपना बचाव करने के लिए 90 मिनट का समय दिया जाएगा. उनका पक्ष सुनने के बाद सदन में प्रस्ताव पर बहस होगी और उस पर मतदान होगा. यदि प्रस्ताव दो-तिहाई बहुमत से पारित हो गया, तो यह एक सप्ताह के भीतर लोकसभा में जाएगा. संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाने के बाद यह प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास जाएगा. राष्ट्रपति न्यायाधीश को पदमुक्त करेंगी.
राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी द्वारा गठित एक विशेष समिति ने इस विवादास्पद न्यायाधीश को दोषी पाया था. समिति ने न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ वित्तीय अनियमितता के आरोपों को सही पाया था. न्यायमूर्ति सेन पर 1990 के दशक में लगभग 24 लाख रुपये के गबन का आरोप है. उस समय वह वकील थे और कोलकाता हाई कोर्ट ने उन्हें रिसीवर नियुक्त किया था.
First Published: Wednesday, August 17, 2011, 17:39