‘सेना की प्रेस विज्ञप्ति में कोई भूमिका नहीं’ - Zee News हिंदी

‘सेना की प्रेस विज्ञप्ति में कोई भूमिका नहीं’


नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सेना की ओर से पांच मार्च को जारी प्रेस विज्ञप्ति से पैदा हुए विवाद से खुद को अलग करते हुए कहा कि इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है। यह सेना की ओर से ही जारी की गई थी और इसे सेना में उच्च स्तर पर अनुमति प्राप्त थी। दिल्ली उच्च न्यायालय के नोटिस का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने सोमवार को न्यायालय में यह जवाब दिया। मामले की अगली सुनवाई 24 मई को होगी।

 

सेना प्रमुख जनरल वीके. सिंह ने सेना की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) तेजिंदर सिंह का नाम लेते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने दोयम दर्जे के 600 वाहनों की खरीद को मंजूरी देने के लिए उन्हें 14 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। तेजिंदर सिंह ने न्यायालय से गुहार लगाई थी कि वह प्रेस विज्ञप्ति वापस लेने के लिए सेना को निर्देश दे। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें उनके खिलाफ गम्भीर आरोप लगाए हैं। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए ही न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने को कहा था कि प्रेस विज्ञप्ति उसके द्वारा जारी की गई थी या सेना प्रमुख सहित सेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा।

 

नोटिस का जवाब देते हुए केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एएस चांढिओक ने कहा कि प्रेस विज्ञप्ति सेना की ओर से जारी की गई थी और सेना के उच्च स्तर ने इसकी अनुमति दी थी। इसमें सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। तेजिंदर सिंह ने इसे अपने अधिकारों का भी उल्लंघन करार दिया है। इस पर न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने उनके वकील अनिल अग्रवाल से यह साबित करने के लिए कहा कि प्रतिष्ठा का अधिकार मौलिक अधिकार है। न्यायमूर्ति गुप्ता ने अग्रवाल से कहा कि आप मुझे दिखाइए और संतुष्ट कीजिए कि प्रतिष्ठा का अधिकार मौलिक अधिकार है। आपको संतुष्ट करना पड़ेगा कि आपके मौलिक अधिकार क्या हैं और कैसे इनका उल्लंघन हुआ? हवा में तर्क मत दीजिए। पूरी तैयारी के साथ आएं।

(एजेंसी)

First Published: Monday, May 7, 2012, 21:40

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