Last Updated: Thursday, March 29, 2012, 07:53
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली : रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई से इंकार करते हुए कहा कि जनरल पर सरकार का भरोसा बरकरार है। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को लिखे उनके पत्र के लीक होने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानून के तहत ‘कड़ी कार्रवाई ’ की जाएगी।
गुरुवार को डिफेन्स एक्सपो समारोह से इतर एक संवाददाता सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने कहा कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) से उस पत्र के लीक होने की जांच करने के लिए कहा गया है जिसमें सेना प्रमुख ने कहा था कि देश की सुरक्षा को खतरा है। क्या जनरल पर सरकार को भरोसा है के सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘सेना के तीनों अंगो के प्रमुखों पर सरकार को भरोसा है। वे काम कर रहे हैं अन्यथा वे कैसे काम कर रहे होते।’
रक्षा मंत्री की इस टिप्पणी से कुछ समय पहले जम्मू से जनरल सिंह का बयान आया था कि उनके पत्र के लीक होने को ‘बड़े देशद्रोह’ की तरह लिया जाए और उसके स्रोत के साथ ‘कड़ाई ’ से निपटा जाए। एंटनी ने कहा कि कोई देशभक्त भारतीय संवेदनशील पत्र व्यवहार को लीक करने में लिप्त नहीं हो सकता क्योंकि इससे केवल दुश्मन को ही फायदा होगा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट जल्द मिल जाएगी। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि हम इसे यूं ही नहीं छोड़ेंगे। हम राष्ट्र विरोधी काम करने वाले दोषी का पता लगाने का हरसंभव प्रयास करेंगे और भारतीय दंड संहिता के तहत अधिकाधिक सजा देंगे।
रक्षा मंत्री ने इस बात को माना कि भारत संवेदनशील पड़ोसियों से घिरा है और इसके मद्देनजर देश को रक्षा तकनीक के विकास में तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'हालांकि आर्थिक तौर पर सरकार के लिए यह एक कठिन साल रहा है, बावजूद इसके हम हर साल तकनीक और उपकरणों का आयात कर रहे हैं। रक्षा तकनीकी विकास में तेजी लाई जा रही है। इस मामले में डीआरडीओ की अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।' सैन्य उपकरण और हथियारों की खरीद में भ्रष्टाचार के सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, 'रक्षा मंत्रालय ने देश के पैसे और देश की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए हैं। मंत्रालय अभी तक चार विदेशी और दो देशी कंपनियों को 10 साल के लिए प्रतिबंधित कर चुकी है। चार विदेशी कंपनियों में इजरायल,रूस,जर्मनी और सिंगापुर की एक-एक कंपनी शामिल हैं। कंपनियों के खिलाफ यह प्रतिबंध सीबीआई की सिफारिश पर की गई है।'
खरीद समझौते के सवाल पर एंटनी ने कहा, 'कंपनियों से कांट्रेक्ट समझौते का कागजात पर दस्तखत होने के बाद भी रद्द हो सकते हैं। यानी डील फाइनल होने के बाद भी उसे रद्द किया जा सकता है। किसी भी डील में यदि शिकायत सही पाई जाती है तो उसे रद्द किया जा सकता है। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए।'
First Published: Friday, March 30, 2012, 00:27