सेना लोगों की मालिक नहीं है: फारूक - Zee News हिंदी

सेना लोगों की मालिक नहीं है: फारूक

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को हटाने की कड़ी वकालत करते हुए केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि सेना राज्य के लोगों की मालिक नहीं है और उसे आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ।

 

फारूक ने यह भी कहा कि स्थानीय पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल उन क्षेत्रों में सुरक्षा जिम्मेदारियां संभालने में पर्याप्त रूप से सक्षम हैं जहां अफस्पा हटाए जाने की संभावना है । उन्होंने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को कठोर कानून की संज्ञा दी ।

 

फारूक ने के न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा कि सेना हमारी मालिक नहीं है । जम्मू कश्मीर के लोग राज्य के मालिक हैं । सेना केवल रक्षा के लिए है । वह देश के हित की रक्षा करना जारी रखेगी ।’’ यह कार्यक्रम सीएनएन आईबीएन पर प्रसारित होना है । उन्होंने कहा कि सेना का काम सीमा की रक्षा करना है ताकि घुसपैठ नहीं हो और पुलिस तथा सीआरपीएफ अन्य मामलों से निपटने के लिए तैयार हैं ।

 

उन्होंने कहा कि सेना स्थिति से निबटने में नाकाम हो रही है, ‘ नहीं तो वे किस प्रकार घुस जाते हैं?’

 

यह पूछे जाने पर कि घुसपैठ की हर कामयाब कोशिश क्या सेना की नाकामी है, उन्होंने कहा, ‘ यह सेना का सवाल नहीं है। यह पूरे तंत्र की विफलता है। हमारे पास खुफिया विभाग है, हमारे पास आंतरिक खुफिया विभाग है। अगर वे आ रहे हैं तो कहीं न कहीं नाकामयाबी रही होगी।

 

एक सवाल के जवाब में फारूक ने कहा, ‘ मेरी दिलचस्पी अफस्पा में नहीं है। इस बारे में मैं आपको साफ बता दूं। मैं समझता हूं कि समय आ गया है जब लोगों पर भरोसा किया जाए।’

 

यह पूछे जाने पर कि क्या आप महसूस करते हैं कि सेना कश्मीरी लोगों पर भरोसा नहीं करती, उन्होंने कहा, ‘ मैं नहीं जानता कि आप कश्मीरी लोगों पर भरोसा करते हैं या नहीं, आपको सेना से पूछना चाहिए। समय आ गया है जब लोगों को सांस लेने का वक्त दिया जाए। उन्हें महसूस करना चाहिए कि कानून से उपर कुछ नहीं है।’

 

केंद्रीय मंत्री उस समय नाराज दिखे जब उनसे पूछा गया कि क्या उमर अब सेना को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं। ‘ मैं खुद भी मुख्यमंत्री रहा हूं। मुझे मत बताइए कि मुख्यमंत्री क्या कर सकता है और क्या नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री मुखिया होता है। ’

 

फारूक ने यह स्पष्ट किया कि सीमावर्ती इलाकों और कश्मीर घाटी के उन इलाकों से अफस्पा हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है जहां आतंकवादी अब भी बड़ी संख्या में हैं।

 

उन्होंने कहा, ‘ अफस्पा उन इलाकों से नहीं हटाया जा रहा है। उन इलाकों से नहीं हटाया जा रहा है जहां से आतंकवादी आ रहे हैं। यह अन्य स्थानों से हटाया जाएगा। ’

 

यह पूछे जाने पर कि क्या उमर अब्दुल्ला अफस्पा मुद्दे से ठीक तरीके से नहीं निबट सके, फारूक ने जवाब दिया, ‘ नहीं, बिल्कुल नहीं। अगर वह फैसला करते हैं कि अफस्पा को हटाया जाए तो इसे हटाया जाना चाहिए।’

 

सेना के अफस्पा को आंशिक रूप से हटाए जाने के खिलाफ होने के बारे में चर्चा पर उन्होंने कहा, ‘ सेना का अपना रुख है और उस रुख। यह मेरा नजरिया नहीं है। जहां तक मेरा सवाल है, मैं महसूस करता हूं कि अगर एक बार इसे हटा लिया गया तो ऐसा कुछ नहीं है कि स्थिति वैसी होने पर इसे फिर से नहीं लाया जाए। मुख्यमंत्री ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है। ’

 

उन्होंने कहा, ‘ सेना का मानना है कि इससे आतंकवादियों को और शक्ति मिल जाएगी। मैं इससे सहमत नहीं हूं क्योंकि सिर्फ श्रीनगर, बडगाम, सांबा और जम्मू में ऐसा हो रहा है.। तो छोटे जिलों में यह कैसे प्रभावित कर सकता है।’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, November 27, 2011, 21:20

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