सोनिया को पीएम पद की शपथ दिलाने को तैयार थे कलाम

सोनिया को पीएम पद की शपथ दिलाने को तैयार थे कलाम

नई दिल्ली : वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अगुवाई के लिए मनमोहन सिंह को नामित किये जाने से पहले तत्कालीन राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम कई नेताओं के दबाव के बावजूद सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री की शपथ दिलाने के लिए तैयार हो गए थे।

लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक स्थिति पर कलाम के इस रूख से उस समय के घटनाक्रम पर पर्दा हट गया जिसके बारे में अटकलें लगायी गयी थीं कि वह ईटली में जन्मीं सोनिया गांधी को देश की प्रधानमंत्री नियुक्त करने के पक्ष में नहीं थे।

‘टर्निंग प्वाइंट्स’ नामक अपनी पुस्तक में राष्ट्रपति के अपने कार्यकाल पर दृष्टिपात करते हुए कलाम ने स्मरण किया है कि यदि सोनिया गांधी ने स्वयं ही (प्रधानमंत्री पद के लिए) दावा किया होता तो वह उन्हें नियुक्त कर देते क्योंकि उनके समक्ष यही एकमात्र संवैधानिक रूप से मान्य विकल्प मौजूद था।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वह करीब करीब निश्चित थे कि सोनिया गांधी संप्रग सरकार की अगुवाई करेंगी लेकिन जब कांग्रेस प्रमुख ने सिंह को प्रधानमंत्री नामित किया तब राष्ट्रपति भवन को नियुक्ति पत्र फिर से तैयार करना पड़ा।
कलाम ने पुस्तक में कहा, उस समय कई ऐसा नेता थे जो इस अनुरोध के साथ मुझसे मिलने आए कि मैं किसी दबाव के सामने नहीं झुकूं और श्रीमती सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त करूं, यह एक ऐसा अनुरोध था जो संवैधानिक रूप से मान्य नहीं होता। यदि उन्होंने स्वयं ही अपने लिए कोई दावा किया होता तो मेरे पास उन्हें नियुक्त करने के सिवा कोई विकल्प नहीं होता। उन्होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो जाने के तीन दिन तक कोई भी दल या गठबंधन सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आया। उन्होंने लिखा है कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान कई कड़े फैसले करने पड़े।

पूर्व राष्ट्रपति ने लिखा है, कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों की राय जानने के बाद बिल्कुल ही निष्पक्ष तरीके से मैंने अपना दिमाग लगाया। इन सभी फैसलों का प्राथमिक लक्ष्य संविधान की गरिमा का संरक्षण और संवर्धन तथा उसे मजबूती प्रदान करना था। वर्ष 2004 के चुनाव को रोचक घटना करार देते हुए उन्होंने लिखा है, यह मेरे लिए चिंता का विषय था और मैंने अपने सचिवों से पूछा तथा मैंने सबसे बड़े दल को सरकार गठन के लिए आगे आने और दावा करने के लिए पत्र लिखा। इस स्थिति में कांग्रेस सबसे बड़ा दल था।

कलाम ने लिखा है, मुझे बताया गया कि सोनिया गांधी 18 मई को दोहपर सवा बारह बजे मुझसे मिल रही हैं। वह समय से आयीं और अकेले आने के बजाय वह डॉ. मनमोहन सिंह के साथ आयीं एवं मेरे साथ उन्होंने चर्चा की। उन्होंने कहा कि उनके पास पर्याप्त संख्याबल है लेकिन वह पार्टी पदाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले समर्थन पत्र लेकर नहीं आयी हैं। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, उन्होंने (सोनिया गांधी ने) कहा कि वह 19 मई को समर्थन पत्र लेकर आयेंगी। मैंने उनसे पूछा कि आपने क्यों स्थगित कर दिया। हम आज दोपहर भी इसे (सरकार गठन संबंधी औपचारिकता) पूरा सकते हैं। वह चली गयीं। बाद में मुझे संदेश मिला कि वह अगले दिन शाम में सवा आठ बजे मुझसे मिलेंगी। जब यह संवाद चल रहा था तब कलाम को विभिन्न व्यक्तियों, संगठनों और दलों से कई ईमेल और पत्र मिले कि उन्हें सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री नहीं बनने देना चाहिए। उन्नीस मई को निर्धारित समय शाम सवा आठ बजे सोनिया गांधी सिंह के साथ राष्ट्रपति भवन आयीं।

कलाम ने लिखा है, बैठक में परस्पर अभिवादन के बाद उन्होंने मुझे विभिन्न दलों के समर्थन पत्र दिखाए। उसपर मैंने कहा कि स्वागतयोग्य है। आपको जो समय सही लगे राष्ट्रपति भवन शपथग्रहण समारोह के लिए तैयार है। उसके बाद उन्होंने मुझसे कहा कि वह डॉ. मनमोहन सिंह को बतौर प्रधानमंत्री नामित करना चाहेंगी जो 1991 में आर्थिक सुधारों के शिल्पी थे और बेदाग छवि के साथ कांग्रेस पार्टी के भरोसेमंद लेफ्टिनेंट हैं।

उन्होंने लिखा, निश्चित रूप से यह मेरे लिए एक आश्चर्य था और फिर से राष्ट्रपति भवन सचिवालय को डॉ. मनमोहन सिंह को बतौर प्रधानमंत्री नियुक्त करने और उन्हें शीघ्र ही सरकार गठन का न्यौता देने वाला पत्र लिखना पड़ा। पूर्व राष्ट्रपति की इस पुस्तक को हार्परकोलिंस इंडिया ने छापी है और अगले सप्ताह यह रिलीज होने वाली है। 22 मई को सिंह ओर 67 मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के बाद कलाम ने इस बात की राहत की सांस ली कि यह महत्वपूर्ण कार्य अंतत: पूरा हो गया। (एजेंसी)

First Published: Saturday, June 30, 2012, 18:33

comments powered by Disqus