Last Updated: Saturday, June 30, 2012, 11:03
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उस राजनीतिक रहस्य से पर्दा उठा दिया है कि 2004 में जब वे राष्ट्रपति थे तब सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने के खिलाफ थे या नहीं। कलाम ने शीघ्र ही विमोचित होने जा रही अपनी किताब `टर्निंग प्वाइंट्स, ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस` में इस बात का खुलासा किया है कि अगर सोनिया पीएम बनना चाहतीं तो उनके पास कोई और विकल्प नहीं होता सिवा उनकी नियुक्ति के।
13 मई 2004 को आए चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस संसदीय दल व यूपीए गठबंधन का अध्यक्ष बनने के बावजूद सोनिया ने पीएम नहीं बनने का निर्णय किया था। कांग्रेस नीत सरकार का बाहर से समर्थन करने का निर्णय करने वाले वामदलों ने भी सोनिया का नाम पीएम पद के लिए प्रस्तावित किया था लेकिन कई दक्षिणपंथी पार्टियों ने सोनिया के विदेशी होने का मुद्दा उठाकर उनके पीएम बनने का विरोध किया था।
कलाम ने लिखा है, कई नेता उनसे मिले और किसी तरह के दबाव में न आकर सोनिया को पीएम नियुक्त करने का आग्रह किया। हालांकि यह निवेदन संवैधानिक रूप से तर्कसंगत नहीं था। अगर सोनिया ने अपने लिए कोई दावा किया होता तो मेरे पास उन्हें नियुक्त करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। एक अखबार के अनुसार, कलाम ने अपनी पुस्तक में लिखा है, `मैं उस वक्त हैरान रह गया था जब 18 मई 2004 को सोनिया गांधी मुझसे मिलने आईं और प्रधानमंत्री पद के लिए मनमोहन सिंह के नाम का प्रस्ताव किया।`
पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने पहली बार यूपीए सरकार के साथ राष्ट्रपति रहते हुए अपने मुश्किल संबधों के बारे में इस किताब में बताया है। कलाम ने लिखा है कि राष्ट्रपति रहते हुए वह यूपीए सरकार की ओर से लाए गए ऑफिस ऑफ प्रॉफिट बिल के समर्थन में नहीं थे, क्योंकि बिल की मंशा ठीक नहीं थी। इस बिल के बारे में यहां तक कहा जाता है कि इस बिल को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कई बड़े कांग्रेसी नेताओं को सांसद के तौर पर अयोग्य करार दिए जाने से बचाने के लिए लाया गया था।
First Published: Saturday, June 30, 2012, 11:03