Last Updated: Saturday, June 30, 2012, 18:06

नई दिल्ली : भाजपा ने आज कहा कि 2004 में प्रधानमंत्री पद के लिए दावा नहीं करने के सोनिया गांधी के फैसले को बडी कुर्बानी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि उस समय लोकसभा चुनाव में जनादेश सोनिया या कांग्रेस के पक्ष में नहीं था ।
पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने अपनी नयी किताब ‘ टनि’ग प्वाइंट्स : ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस ’ में कहा है कि यदि सोनिया चाहतीं तो प्रधानमंत्री बन सकती थीं क्योंकि उनके (कलाम के) पास सोनिया की नियुक्ति करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
भाजपा ने हालांकि कहा कि इससे सोनिया बलिदान का प्रतीक नहीं बन जातीं। पार्टी के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया, कलाम साहेब ने कोई नयी बात नहीं कही है। वह पहले भी ऐसा कह चुके हैं। उन्होंने चूंकि अपनी अगली किताब में इस बारे में लिखा है, सिर्फ इसलिए सोनिया बलिदान का प्रतीक नहीं बन जातीं। वह अभी भी सुपर प्रधानमंत्री हैं। उनका सचिवालय (राष्ट्रीय सलाहकार परिषद) प्रधानमंत्री के सचिवालय से बड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार के सभी बडे फैसले सोनिया करती हैं न कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह।
नकवी ने दावा किया कि 2004 के आम चुनावों ने ऐसे विशिष्ट हालात पैदा कर दिये थे, जिसमें दो बड़ी पार्टियों की सीटें लगभग समान थीं।
उन्होंने कहा कि 2004 की लोकसभा में कांग्रेस के पास 145 सीटें थीं और वह भाजपा की 138 सीटों से केवल सात सीट आगे थी। यहां तक कि वोट प्रतिशत का अंतर भी काफी कम था। भाजपा के मुकाबले कांग्रेस 0.20 प्रतिशत अधिक वोट हासिल कर पायी थी। अत: प्रधानमंत्री पद के लिए सोनिया के पक्ष में कोई बडा जनादेश नहीं था।
भाजपा ने जोर देकर कहा कि ये तथ्य दर्शाते हैं कि सोनिया ने कोई कुर्बानी नहीं दी और प्रधानमंत्री नहीं बनने का उनका फैसला कोई आश्चर्यजनक बात नहीं थी। नकवी ने कहा कि आज सोनिया बिना किसी जवाबदेही के सत्ता चला रही हैं और उनका पद प्रधानमंत्री से बडा है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 30, 2012, 18:06