'सोशल साइट पर अभद्र टिप्पणी : गिरफ्तारी में आला पुलिस अफसरों की अनुमति जरूरी'

'सोशल साइट पर अभद्र टिप्पणी : गिरफ्तारी में आला पुलिस अफसरों की अनुमति जरूरी'

'सोशल साइट पर अभद्र टिप्पणी : गिरफ्तारी में आला पुलिस अफसरों की अनुमति जरूरी'नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66ए के तहत किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी की अनुमति लेनी आवश्यक होगी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान तथा न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अवकाश पीठ ने श्रेया सिंघल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। श्रेया ने कार्यकर्ता जया विंध्यालय की गिरफ्तारी के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर की थी। उन्हें आंध्र प्रदेश के एक विधायक की शिकायत पर आईटी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबरटीज की कार्यकर्ता जया पर अपने फेसबुक टाइमलाइन में चिराला के विधायक अमांची कृष्णा मोहन तथा तमिलनाडु के राज्यपाल के. रोसैया के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी लिखने का आरोप है।

पुलिस ने जया के खिलाफ आईटी अधिनियम की धारा 66ए और भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (षड्यंत्र) लगाई थी।

न्यायालय का आदेश अतिरिक्त महाधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा द्वारा न्यायालय को यह बताए जाने के बाद आया कि केंद्र सरकार ने आईटी अधिनियम की धारा 66ए के तहत दर्ज होने वाली शिकायतों पर पुलिस की कार्रवाई से पहले प्रक्रियाओं को लेकर इस साल नौ जून को राज्यों को परामर्श जारी किया था।

आईटी अधिनियम की धारा 66ए संचार सेवा के माध्यम से ऐसे संदेश भेजे जाने पर दंडात्मक प्रावधान से संबंधित है, जिससे लोगों को असुविधा, गुस्सा, खीझ, अपमान आदि अनुभव हों या ये संदेश बुरी नीयत अथवा नफरत से भेजे गए हों। (एजेंसी)

First Published: Thursday, May 16, 2013, 13:03

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