Last Updated: Monday, September 23, 2013, 19:07
मैसूर : देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक व्यय के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 1.2 प्रतिशत होने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य एवं पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सरकार की ओर से व्यय किये जाने वाली राशि बढ़ाने की जरूरत है।
जगतगुरू श्री शिव रथेश्वर (जेएसएस) महाविद्या पीठ के नये अस्पताल भवन का उद्घाटन करते हुए प्रणब ने कहा, ‘भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक व्यय जीडीपी का महज 1.2 प्रतिशत है। यह अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, नार्वे और ब्राजील जैसे देशों के इस क्षेत्र में किये जाने वाले 4 प्रतिशत की तुलना में काफी कम है।’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘स्वास्थ्य क्षेत्र में हमारे खर्च को बढ़ाने की जरूरत है। अगर हम अपने देश की प्रगति और अपने को विकसित देश के रूप में देखना चाहते हैं तो हमें हमारी ऐसी क्षमताओं (साफ्ट पावर) को सुगठित करना होगा।’
देश की आबादी के लिए पर्याप्त निवेश की जरूरत पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमें स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित कर लोगों की क्षमता को बढ़ाना होगा।’
उन्होंने कहा कि यहां यह प्रश्न पूछना सही होगा कि क्या भारत जीवन से जुड़े इन बुनियादी कारकों को सुनिश्चित करने के लिए निवेश वहन कर सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सार्वजनिक संसाधनों के समक्ष कई तरह के विषय हैं और ऐसे में निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए जोड़ा जाना चाहिए।
प्रणव ने स्वास्थ्य क्षेत्र में मुनाफे पर आधारित वाणिज्यिक प्रणाली का भी उल्लेख किया। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा संस्थाओं को बेहतर चिकित्सक तैयार करने की जिम्मेदारी की ओर ध्यान दिलाया जो देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी की ठोस सोच पर आधारित हो।
उन्होंने कहा, ‘ऐसे डाक्टर है जो वृहद विशेषज्ञता हासिल करने और अपने दायरे को व्यापक बनाने के लिए विदेश स्थित संस्थाओं में उच्च शिक्षा प्राप्त करने जाना चाहते हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि राष्ट्र ने उनकी शिक्षा के लिए निवेश किया है। वे जहां भी जाएं, उन्हें अपनी जन्मभूमि से पवित्र रिश्ता बनाये रखना चाहिए।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, September 23, 2013, 19:07