हम शांति चाहते हैं पर LoC की घटना स्वीकार्य नहीं: PM

हम शांति चाहते हैं पर LoC की घटना स्वीकार्य नहीं: PM

हम शांति चाहते हैं पर LoC की घटना स्वीकार्य नहीं: PMनई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व चाहता है लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा सिर काट दिये जाने की हालिया घटना ‘‘सभ्य अंतरराष्ट्रीय व्यवहार के मानकों के खिलाफ’’ और ‘‘अस्वीकार्य’’ है।

राज्यपालों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनमोहन ने यहां कहा कि इस बात को समझने की आवश्यकता है कि भारत के पड़ोस में अस्थिरता एवं अनिश्चितता बढ़ रही है। सशस्त्र बलों एवं पुलिस की क्षमताओं को निरतंर मजबूत किया जा रहा है ताकि सभी तरह की सुरक्षा चुनौतियों से निपटा जा सके।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए प्रतिबद्ध है। बहरहाल, हम अपने देश के लिए किसी चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के अपने संकल्प को लेकर भी काफी दृढ़ हैं।’’ जम्मू कश्मीर में एक भारतीय सैनिक का पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा सिर कलम किये जाने की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पिछले माह नियंत्रण रेखा पर हुई घटना जैसे मामले स5य अंतरराष्ट्रीय व्यवहार के मामलों के खिलाफ हैं और हमें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं।’’ पाकिस्तानी सैनिकों ने आठ जनवरी को नियंत्रण रेखा पार कर दो भारतीय सैनिकों को मार डाला और एक का सिर काट दिया। इसके बाद से भारत उस सैनिक के सिर को वापस करने की मांग लगातार कर रहा है।

इस घटना के कारण भारत में रोष व्याप्त हो गया और बुजुर्ग लोगों के लिए वीजा योजना के क्रियान्वयन को रोक दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस घटना के बाद पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य नहीं रह सकते।

देश के समक्ष उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में कहा कि सशस्त्र बलों एवं पुलिस की क्षमतों को निरंतर मजबूत किया जा रहा है ताकि सभी प्रकार की चुनौतियों से निपटा जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘हम सीमाई क्षेत्रों में आधारभूत विकास कार्यक्रम को लागू कर रहे हैं ताकि आवाजाही और संपर्क को बढ़ाया जा सके।’’ वामपंथी उग्रवाद का जिक्र करते हुए मनमोहन ने कहा कि देश में इसके भौगोलिक विस्तार में कमी दिखायी दे रही है हालांकि असम में यह फैल रहा है, जो चिंताजनक है।

वामपंथी उग्रवाद से निपटने में केन्द्र की द्विपक्षीय नीति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हालांकि हमने उग्रवादियों के खिलाफ अभियान को तेज कर दिया है, हम इन क्षेत्रों में विकास एवं प्रशासन त्रुटियों को भी दूर करने के प्रयास कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में से कई में आदिवासी आबादी ज्यादा है।’’ सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि इनमें अतिरिक्त केन्द्री बलों की तैनातगी, विशेष बलों का गठन, पुलिस थानों को मजबूत, राज्य पुलिस कर्मियों को विद्रोही गतिविधियों के खिलाफ, जंगल युद्धकौशल और आतंकवाद निरोधक अभियानों में प्रशिक्षित करना शामिल है।

प्रधानमंत्री ने आंध प्रदेश के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन के इस सुझाव पर सहमति जतायी कि वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ अभियान में ज्यादा अंतरराज्यीय समन्वय होना चाहिए। मनमोहन ने कहा कि 82 चयनित एवं पिछड़े जिलों में समन्वित कार्य योजना लागू होने के बाद उत्साहजनक नतीजे सामने आने लगे। इनमें से अधिकतर जिले वामपंथी उग्रवाद से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन जिलों में सड़क संपर्क को बेहतर बनाया जा रहा है। हमने उपयुक्त व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) कानून के तहत वन अधिकार दिलाने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए कदम उठाये हैं।’’ प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि बहुत कुछ किया जाना जरूरी है। ‘‘हमें जो कुछ भी करना बाकी है उसके लिए हम सारे प्रयास करेंगे। ’’ उन्होंने कहा कि 2012 में जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर एवं वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों सहित आतंरित सुरक्षा स्थिति में सुधार के स्पष्ट संकेत मिले हैं।

मनमोहन ने कहा, ‘‘बहरहाल, बहुत कुछ किया जाना बाकी है। गृह मंत्री ने आतंकवाद एवं वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों सेहित चुनौतियों से निपटने के लिए हमारी कार्य योजना के बारे में हमें सूचित किया है। इन चुनौतियों के अंदरूनी एवं बाह्य आयाम भी हैं।’’ उन्होंने ध्यान दिलाया कि आतंकवाद से निपटने की प्रणाली एवं उपकरणों में सुधार के लिए सरकार ने कई कदम उठाये हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गैर कानूनी गतिविधि निरोधक (संशोधन) विधेयक के संसद में पारित होने से आतंकवाद निरोधक व्यवस्था को ज्यादा अधिकार मिले हैं और यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, February 12, 2013, 22:12

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