Last Updated: Sunday, January 20, 2013, 20:27
नई दिल्ली : कोई भी आरोपी झगड़े वाली जगह से भाग रहे हमलावर को खदेड़ कर मार गिराने पर आत्मरक्षा की दलील नहीं दे सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में यह व्यवस्था दी है।
राजस्थान में वर्ष 2000 में हुई दोहरी हत्या के एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की खंडपीठ ने शुक्रवार को अपने फैसले में स्पष्ट किया कि एक आरोपी जिसने हमलावर को खदेड़ा और उसे बुरी तरह घायल किया, वह इस बात का दावा नहीं कर सकता कि उसने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि उसे अपनी जान को खतरा था।
अदालत ने कहा कि दो में से एक की मौत आत्मरक्षा में हुई, लेकिन दूसरे को आरोपी ने खदेड़ कर हमला किया यह हत्या की श्रेणी में आता है। जब एक पीड़ित हिंसा के मौके से भाग रहा हो तो आरोपी के लिए भाग रहे व्यक्ति से जान का खतरा या गंभीर रूप से घायल होने का डर खत्म हो जाता है।
कोर्ट ने गोपाल और महेश की उम्रकैद की सजा को बहाल रखते हुए आत्मरक्षा की व्याख्या की। दोनों पर जयपुर में 16 जुलाई 2000 को लेनदेन से जुड़े विवाद में रामेश्वर और प्रभात की हत्या करने का आरोप था। रामेश्वर की मौके पर ही मौत हो गई, लेकिन उसकी मदद के लिए आया प्रभात हमले के बाद भाग निकला। दोनों ने प्रभात को खदेड़ कर गंभीर रूप से घायल कर दिया जिससे उसकी मौत हो गई। (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 20, 2013, 20:27