Last Updated: Sunday, May 13, 2012, 08:45
नई दिल्ली : राष्ट्रीय हित के नाम पर संसद में सभी राजनीतिक दलों के एकजुट होने की बात की ओर ध्यान दिलाते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने आज कहा कि पिछले 60 साल के दौरान हमने न केवल अपने लोकतंत्र को बरबरार रखा है बल्कि एक ताकत बनकर उभरे हैं।
लोकसभा की पहली बैठक के 60 वर्ष होने के अवसर पर संसद का आज विशेष सत्र बुलाने पर राज्यसभा में जेटली ने कहा कि 60 वर्ष किसी राष्ट्र के जीवन में समुद्र की एक बूंद की तरह होते हैं लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं ने जो दिशा तय की, हम उस दौरान उस ओर मजबूती से बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि हमने देश की एकता और अखंडता को बरकरार रखने का मुख्य मकसद को हासिल किया है।
उन्होंने कहा कि पिछले 60 साल के दौरान कई देशों में लोकतंत्र ढह गया और वहां राजतंत्र या तानाशाही आ गई। लेकिन हमारे देश में लोकतंत्र मजबूत होता गया। हालांकि इस बीच हमने संभवत: सबसे अधिक युद्धों का सामना किया, प्राकृतिक आपदायें झेलीं और सीमा पार के आतंकवाद का सामना किया।
भाजपा नेता ने कहा कि जब भी देश हित की बात आती है तो हम एकस्वर में बोलते हैं और इसी कारण हम एक ताकत बनकर उभरे हैं। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2001 में संसद पर हुआ हमला भी एक ऐसा ही अवसर था। उन्होंने संसद की रक्षा करने के लिए अपनी जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों और अन्य लोगों को भी श्रद्धांजलि दी।
जेटली ने उच्च सदन के सदस्य रिशांग किशिंग का भी अभिवादन किया जो अपने 93 वर्ष के हैं और पहली लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। जेटली के किशिंग का नाम लिए जाने पर पूरे सदन में मेजें थपथपाकर सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि पिछले 60 साल में विकसित देशों में तो लोकतंत्र मजबूत हुआ। लेकिन गरीब देश होने के बावजूद हमने अपने लोकतंत्र को बरकरार रखा। हमने अपनी गलतियों से सीखा। हमने अपने संविधान के बुनियादी ढांचे को बरकरार रखा। हमने अपने पड़ोसियों की गलतियों से सीखा। हमारे देश में सेना राजननीति से बिल्कुल अलग रही।
जेटली ने कहा कि आज देश के लोग राजनीति एवं शासन की गुणवत्ता के लिए हमारी ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी जवाबदेही बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संसद का कोई विकल्प नहीं हो सकता है।
भाजपा नेता ने कहा कि हमारे यहां अधिक केन्द्रीकृत व्यवस्था है। हमारा देश विद्रोह और आतंकवाद जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारा जैसा आचरण होगा, हम जिस प्रकार चर्चायें करेंगे, हम जिस प्रकार से अपने मतभेदों को दूर करेंगे, वह राज्य की विधानसभाओं, जिला पंचायतों, नगरपालिकाओं आदि संस्थाओं के लिए आर्दश बनेंगे। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 13, 2012, 14:15