`हां मंत्री जी, हमें और शौचालयों की जरूरत है`

`हां मंत्री जी, हमें और शौचालयों की जरूरत है`

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश की इस टिप्पणी पर कि देश में मंदिरों से ज्यादा शौचालय महत्वपूर्ण हैं, काफी हो-हल्ला मचा, लेकिन एक तबका ऐसा भी है जिसका कहना है कि देश के अधिकांश हिस्सों में शौचालयों की कमी है, खासकर स्वच्छ शौचालयों की। एक कार्यालय में सहायक सीताराम ने कहा, एक स्वच्छ शौचालय बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब आप कहीं जा रहे होते हैं और आपको तुरंत उसकी जरूरत महसूस होती है। सीताराम ने कहा, जब कभी मैं राजस्थान में स्थित अपने गांव की यात्रा करता हूं तो बस में चढ़ने से पहले शौचालय का उपयोग करता हूं और फिर घर पहुंचकर। कुछ लोग जो सड़क किनारे शौच करते हैं, वे बहुत गंदे हैं।

ज्ञात हो कि स्वच्छता अभियान पर निकले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि इस देश में शौचालय से ज्यादा मंदिर हैं। इसका मतलब है कि लोग शौचालय से ज्यादा मंदिर को महत्व देते हैं। उनकी इस टिप्पणी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिव सेना और बजरंग दल सहित कई पार्टियां और संगठनों ने आलोचना की है।

एक कार्यालय में स्वागत-सहायिका स्वाति अग्रवाल ने कहा, शहर में मुफ्त सेवा वाले सार्वजनिक शौचालय उपयोग के लायक नहीं होते। वे बहुत गंदे होते हैं। यहां तक कि पैसे लेने वाले कुछ शौचालय भी गंदे रहते हैं। आप पांच रुपये भी दीजिए और उपयोग करते समय आपके पैरों के अंगूठे गंदगी में धंसे रहेंगे।

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक के अनुसार, मंत्री की यह टिप्पणी किसी भी तरह धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाली नहीं लगती। पाठक ने कहा, भारत में छोटे-बड़े बहुत से मंदिर हैं, लेकिन आप इन मंदिरों के आसपास कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं पाएंगे। यह हकीकत है। मंत्री ने ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे किसी को ठेस पहुंचे। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 9, 2012, 00:20

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