Last Updated: Monday, October 8, 2012, 21:52
कोलकाता : अरुणाचल प्रदेश के हिस्सों पर चीन के दावे के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में उसका बढ़ता सैन्य प्रभाव दोनों एशियाई देशों के बीच तनाव का नया मुद्दा हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय पत्रकार बर्टिल लिंटनर ने अपनी नयी किताब में इस तरह का दावा किया है।
म्यामांई विदेश नीतियों में विशेषज्ञता रखने वाले लिंटनर ने ‘ग्रेट गेम ईस्ट’ नाम से प्रकाशित पुस्तक में लिखा है, यह दलील दी जा सकती है कि हिंद महासागर में शीत युद्ध का माहौल बन रहा है और अप्रत्यक्ष तौर पर म्यामां के माध्यम से चीन के समुद्र संपकोर्ं से ऐसा हो रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश के हिस्सों पर दावेदारी करता रहा है लेकिन पुस्तक में लेखक ने लिखा है कि हिंद महासागर में कोको द्वीप पर स्थित नौसेनिक अड्डा म्यामां और चीन के मजबूत संबंधों के कारण भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
लेखक ने सवाल किया है, क्या वहां चीन लोग हैं और यदि ऐसा है तो किस हैसियत से हैं? क्या द्वीप पर एक सिगनल खुफिया चौकी है। उन्होंने कहा, और क्या यह हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की गतिविधियों पर नजर रख रहा है या इससे भी ज्यादा भयावह यह बात है कि क्या वह पूर्वी तटों पर बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण की भारतीय रेंज, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और ओड़िशा के चांदीपुर.ऑन.सी में रक्षा अनुसंधान संगठन पर नजर रख रहा है। लिंटनर को 1985 से बर्मा में जाने की इजाजत नहीं दी गयी क्योंकि उन्होंने म्यामां की सेना पर अपनी सनसनीखेज खबरों में दावा किया था कि ग्रेट कोको में एक राडार केंद्र है जो हालांकि बहुत शुरूआती है और सैन्य महत्व की नयी हवाईपट्टी है।
भारत हिंद महासागर में लहरों के उतार चढ़ाव से बेखबर नहीं है और निगरानी रखे हुए है। म्यामां पर अनेक पुस्तकें लिख चुके लिंटनर कहते हैं, म्यामां और चीन दोनों के लोग जानते थे कि भारत की सेना ने समुद्री क्षेत्र में नयी चुनौतियों से निपटने के लिए और दक्षिण पूर्व एशिया एवं मलाक्का स्ट्रेट में अपने हितों के सुरक्षा मानकों के लिए अंडमान निकोबार द्वीपसमूह पर अपनी मौजूदगी में सुधार किया है। उन्होंने कहा, इडिलिक पोर्ट ब्लेयर भारत की रक्षा के लिहाज से हिमालय के अन्य महत्वपूर्ण सैन्य अड्डों की तरह महत्वपूर्ण हो गया है और यह समझना कठिन नहीं है कि ऐसा क्यों है। लेखक के मुताबिक म्यामां में लगातार मची रहने वाली इस खलबली का कोई अंत नहीं हो सकता क्योंकि भारत और चीन इस पर अपने प्रभाव को लेकर प्रतिस्पर्धा करते रहेंगे। (एजेंसी)
First Published: Monday, October 8, 2012, 21:52