हिंदी दिवस: राजभाषा को समृद्ध बनाने का लें संकल्‍प

हिंदी दिवस: राजभाषा को समृद्ध बनाने का लें संकल्‍प

ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

नई दिल्ली : वैश्विक मंच पर हिंदुस्तान की बढ़ती साख ने दुनिया को इसे अधिकाधिक जानने और समझने पर विवश कर दिया है। नतीजतन भारतीय समाज, भाषा और संस्कृति की समझ को सभी एक अवसर की तरह देख रहे हैं। हमारे यहां भले ही कई मामलों में अंग्रेजी को ज्यादा तवज्जो दी जाती हो, लेकिन विदेश में हिंदी की महत्ता साल दर साल बढ़ रही है और इसे सराहा भी जा रहा है। इससे हिंदी की समृद्धि का अहसास होता है। भाषा की मजबूती ही चहुंमुखी विकास का मूलमंत्र है। आज के मौजूदा दौर के संदर्भ में हिंदी दिवस पर (14 सितंबर) अपनी राजभाषा को समृद्ध बनाने का संकल्प लेने की जरूरत है।

गौरतलब है कि आर्थिक शक्ति बनने को उन्मुख भारत में कई देशों को रोजगार से लेकर कारोबार की तमाम संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। इसके चलते हिंदी भाषा के दिन बहुरते दिख रहे हैं। समय के साथ इसमें कई बदलाव भी आए हैं। विशुद्ध बाजारीय दबाव के चलते कारोबार, खेल, विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को हिंदी में परोसने पर विवश होना पड़ रहा है। तेजी से बढ़ती हिंदी भाषा में वेबसाइटें इसके उज्ज्वल भविष्य का संकेत हैं। हिंदी अब नई प्रौद्योगिकी के रथ पर सवार होकर विश्वव्यापी बन रही है। उसे ईमेल, ईकॉमर्स, ईबुक, इंटरनेट, एसएमएस एव वेब जगत में बडी सहजता से पाया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, सन, याहू, आइबीएम तथा ओरेकल जैसी विश्वस्तरीय कंपनियां अत्यत व्यापक बाजार और भारी मुनाफे को देखते हुए हिंदी प्रयोग को बढ़ावा दे रही हैं।

कुद विदेशी हिंदी साहित्यकारों ने अमूल्‍य रचनाओं का सृजन किया है। जिसमें प्रोफेसर ओडोलीन सीमीचेल का नाम प्रमुखता से शामिल है। उनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं। मेरे प्रीत तेरे गीत (1982), स्वाती बूंद (1983), नमो नमो भारतमाता(1983)तेरे दिग् दिगंतर अभिराम (1984)। इसी तरह दक्षिणी कोरियाई के किम यांग शिक, रूसी साहित्यकार विक्टोरिया सेलेना आदि प्रमुख हैं। अभिमन्यु अनत की रचना `लाल पसीना` देश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है। बीजिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विड हान ने तुलसीदास कृत रामचरित मानस का चीनी भाषा में अनुवाद किया।

इसके अलावा, दुनियाभर में हिंदी को बढ़ावा देने में हमारी मायानगरी की फिल्मों की अहम भूमिका रही है। रूस, यूरोप, कैरेबियाई देश और पड़ोसी देशों में भारतीय हिंदी फिल्मों का बढ़ता क्रेज हिंदी भाषा को जानने और समझने वालों की संख्या में इजाफा कर रहा है। निज भाषा उन्नत अहै...।

ज्ञात हो कि कई कैरेबियाई देशों एवं संयुक्त अरब अमीरात में हिंदी अल्पसंख्यक भाषा है। दुनिया के करीब 115 शिक्षण संस्थानों में हिंदी का अध्ययन होता है। 32 अमेरिकी संस्थानों और जर्मनी के 15 शिक्षण संस्थानों में में पढ़ाई जाती है हिंदी। जर्मनी में कई संगठन हिंदी के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। ब्रिटेन की लंदन, कैंब्रिज और यॉर्क यूनिवर्सिटी में हिंदी पढ़ाई जाती है। हालैंड के चार विश्वविद्यालयों में 1930 से यह प्रमुख विषय रही है। डच विद्वान केटलर ने हिंदी भाषा का पहला व्याकरण 1698 में लिखा था। चीन में 1942 में हिंदी अध्ययन की शुरुआत हुई। 1957 में हिंदी रचनाओं का चीनी में अनुवाद आरंभ हुआ। रूस में हिंदी रचनाओं एवं ग्रंथों का रूसी भाषा में अनुवाद होता है। कई देशों में रेडियो पर हिंदी कार्यक्रमों का प्रसारण होता है। जब हिंदी विदेशों में इतनी लोकप्रिय होती जा रही है तो क्‍यों न हम राजभाषा हिंदी को और समुन्‍नत और समृद्ध बनाने के लिए कारगर कदम उठाएं। ताकि दुनिया के माथे पर हिंदी की बिंदी सदा जगमगाती रहे।

First Published: Friday, September 14, 2012, 13:40

comments powered by Disqus