Last Updated: Wednesday, February 20, 2013, 19:37

नई दिल्ली : वीवीआईपी हेलिकाप्टर सौदे में कथित रिश्वत मामले में भारतीयों की भूमिका की जांच में अधिकारियों को कानूनी मदद के लिए सीबीआई ने इटली में दो कानूनी फर्म के साथ सहयोग किया है। आधिकारिक सूत्रों ने आज कहा कि चिओमेंती लॉ फर्म और ग्रिप्पो लॉ फर्म को अगस्ता वेस्टलैंड सौदे के तहत भारत को 12 वीवीआईपी हेलिकाप्टरों की आपूर्ति करने के मामले में इससे जुड़े दस्तावेज और अन्य जरूरी सामग्रियां हासिल करने में इटली के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने में मदद करने को कहा गया है।
दोनों फर्म सौदे में कथित रिश्वत के संबां में साक्ष्य प्रापत करने में इटली की सरकार और स्थानीय अदालत के समक्ष भारत का पक्ष रखेंगे। सूत्रों ने बताया कि इटली में सीबीआई और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त दल को बताया गया कि इस देश में भी जांच अभी प्रारंभिक अवस्था में है और जो गिरफ्तारियां हुई हैं, वह निषेधात्मक प्रकृति का है ताकि साक्ष्य के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सके।
अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में सौदे के लिए कथित तौर पर 362 करोड़ रूपये की रिश्वत दी गई थी। इटली के अधिकारियों ने इटालिया फिनमैकानिका के अध्यक्ष गिउसेपी ओर्सी और अगस्ता वेस्टलैंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ब्रूनो स्पागनोलिनी को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई के विधि अधिकारी समेत एक दल के कथित रिश्वत मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश से जल्द ही मुलाकात करने की संभावना है। सीबीआई के डीआईजी, एजेंसी का एक कानूनी अधिकारी, मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी और विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी मिलान में डेरा डाले हुए हैं।
इस कार्य के लिए दोनों कंपनियों की नियुक्ति अंतरराष्ट्रीय मामलों में उनके कामकाज को ध्यान में रखते हुए किया गया है। चिओमेंती ला फर्म की स्थापना 1948 में की गई थी और इसके छह देशों में 270 अटर्नी काम कर रहे हैं। जबकि ग्रिप्पो ला फर्म के पांच देशों में 360 अटनी हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 20, 2013, 19:37