Last Updated: Friday, November 23, 2012, 13:49
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिण दिल्ली में बस रैपिड ट्रांसिट (बीआरटी) कोरिडोर को रद्द करने की मांग करने की याचिका को खारिज करने संबंधी अपने पहले के एक फैसले की समीक्षा के लिए दायर याचिका को आज खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार के तर्क को स्वीकार कर लिया कि अदालत को समीक्षा याचिका को खारिज कर देना चाहिए क्योंकि याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन ने अपनी मुख्य याचिका में यह बात नहीं उठाई थी कि कोरिडोर दिल्ली मास्टर प्लान (एमपीडी) 2021 का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा, ‘यह कहना उपयुक्त है कि रिट याचिका में इस बात को चुनौती नहीं दी गई है कि बीआरटी कोरीडोर मास्टर प्लान के नियमों के मुताबिक नहीं है और इस तरह हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता मास्टर प्लान के नियमों के उल्लंघन का जिक्र कर किसी भी बात के लिए आग्रह नहीं कर सकता।’
समीक्षा याचिका गैर सरकारी संगठन न्यायभूमि के अध्यक्ष बी.बी. शरण ने दाखिल की थी जिसमें कहा गया, ‘एमपीडी 2021 एक वैधानिक योजना है। मास्टर योजना के मुताबिक बीआरटी 45 मीटर से कम चौड़ी सड़क पर नहीं बन सकता।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के मुताबिक बीआरटी को उस सड़क पर बनाया जा सकता है जहां की चौड़ाई 45 मीटर या अधिक हो । बहरहाल अदालत ने 45 मीटर को सौ फुट के बराबर माना है जबकि 45 मीटर करीब 150 फुट होता है।’ अदालत ने आज अपने फैसले में संशोधन किया और कहा कि यह मुद्रण की गलती है।
इससे पहले जनहित याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘वर्तमान सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने की कोई गुंजाइश नहीं है और दिल्ली की आबादी लगातार बढ़ रही है। हम इस तथ्य से इंकार नहीं कर सकते कि दिल्ली के लोगों को एक न एक दिन सार्वजनिक यातायात सेवाओं का उपयोग करना होगा।’ न्याय भूमि की याचिका के मुताबिक अंबेडकर नगर से मूलचंद के बीच यातायात के सुचारू संचालन के लिए सरकार को वाहनों को बस मार्ग पर चलने से नहीं रोकना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 23, 2012, 13:49