अखाड़े व धर्म ध्वजा के रक्षक हैं अखाड़ा कोतवाल

अखाड़े व धर्म ध्वजा के रक्षक हैं अखाड़ा कोतवाल

शिल्पा पुंडीर

संगम (इलाहाबाद) : महाकुंभ मेले में मौजूद 13 अखाड़ों में प्रवेश करते ही अनेक तरह के साधु-संन्यासियों के दर्शन होते हैं। कोई हठ योगी है तो कोई धुनी रमाये नागा संन्यासी। लेकिन सभी अखाड़ों में चार ऐसे भी संन्यासी होते हैं जिनकी नजर हर आने जाने वालों पर होती है। इन साधुओं को अखाड़े और धर्म ध्वजा के रक्षक यानी अखाड़ा कोतवाल कहते हैं।

हाथ में चांदी की छड़, मोती और रुद्राक्ष की माला। साथ में लाल रंग के आकर्षक वस्त्र में मौजूद ये कोतवाल हमेशा अखाड़े के मंदिर और धर्म ध्वाजा के नजदीक देखे जा सकते हैं। इनका चुनाव कुंभ मेला प्रारंभ होने के बाद होता है। अखाड़े का कोतवाल चुने जाना बहुत सम्मान की बात होती है। हर एक साधु को उसके जीवन काल में इस पद को प्राप्त करने का गौरव नहीं मिलता। लेकिन जितनी बड़ी जिम्मेदारी होती है, उतनी ही कठिन इनकी ड्यूटी होती है। ये सभी कोतवाल 18 घंटे अखाड़े में तैनात रहते हैं और हर 10 से 11 दिन बाद इनकी ड्यूटी बदल जाती है।

अखाड़े की हर ऊंच नीच का जिम्मा इन कौतवाल के जिम्मेम होता है। चाहे वह सुरक्षा-व्यवस्था हो या चाहे वह इष्ट देव के लिया लाया जा रहा गंगा जल। शाही स्नान में भी शाही जुलूस के सबसे आगे ये कोतवाल ही चलते हैं। अखाड़े के इस रंग को देखकर साफ कहा जा सकता है कि ये महाकुंभ आस्था के अलावा नियमों की तपस्या भी है।

First Published: Thursday, January 17, 2013, 14:32

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