अनंत धार्मिक ऊर्जा का केंद्र है महाकुंभ

अनंत धार्मिक ऊर्जा का केंद्र है महाकुंभ

अनंत धार्मिक ऊर्जा का केंद्र है महाकुंभज़ी न्यूज ब्यूरो

संगम (इलाहाबाद): प्रयाग महाकुंभ महज मेला नहीं है, बल्कि त्रिवेणी के संगम पर एक डुबकी श्रद्धालुओं के तन-मन को जहां पवित्र करता है वहीं धार्मिक ऊर्जा भी लोगों को मिलती है। यहां साधु-संतों और विद्वान ब्राह्मणों की मौजूदगी में ज्ञान का प्रवाह होता है। कहते हैं संतो की अमृत वाणी सुनने के लिए स्वर्ग से देवता भी आते हैं।

प्रयाग कुंभ मेले के मौके पर देश दुनियां से लाखों श्रद्धालु प्रयाग पहुंच रहे हैं और हर किसी के मन में एक ही चाहत है। कहते हैं पूर्ण कुंभ के मौके पर प्रयाग पहुंच कर जो भी स्नान करता है। उसे सहस्र अश्वमेघ यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब देवता अमृत से भरे घड़े को लेकर आसमान में उड़ रहे थे तभी अमृत की कुछ बूंदें प्रयाग के पवित्र संगम पर भी छलकी। कहते हैं तब से यहां महाकुंभ का आयोजन होता है और साधु-संतों और ब्राह्मणों की मौजूदगी में ज्ञान का प्रवाह होता है।

संतों के इसी दिव्य ज्ञान को प्राप्त करने के लिए मानव, दानव, देवता और पितर भी धरती पर आते हैं और अपने पुण्यों में वृद्धि करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इनमें से कुछ सशरीर तो कुछ अदृश्य रुप में कुंभ क्षेत्र में प्रवास करते हैं। यहीं नहीं कुंभ के मौके पर वो साधु और संत भी स्नान के लिए पहुंचते हैं जिनके दर्शनों के लिए मनुष्यों तो लालायित रहते ही है, वहीं देवता भी ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

यहीं नहीं शास्त्रों की दिशा भी कुंभ के मौके पर ही विद्वान तय करते हैं। इसमें जहां नए नियमों का प्रतिपादन होता है। वहीं पुराने और कमजोर पर गए सामाजिक सिद्धांतों को भी तिलांजलि दे दी जाती है। इससे साथ ही धर्म सेवकों की नई फौज भी तैयार की जाती है। कई उत्साही ब्रह्मचारी कुंभ के मौके पर संन्यास भी ग्रहण भी करते हैं और आजीवन सनातन धर्म की सेवा में लगे रहते हैं। प्रयाग कुंभ के मौके पर दुनियांभर से लाखों-करोड़ों श्रद्धालु पहुंचकर अनुशासन का ही परिचन नहीं देते , बल्कि शांति, प्रेम का संदेश देते हैं।

First Published: Wednesday, January 16, 2013, 13:11

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