अफजल की फांसी के बाद कश्मीर में हिंसा, 40 घायल

अफजल की फांसी के बाद कश्मीर में हिंसा, 40 घायल

अफजल की फांसी के बाद कश्मीर में हिंसा, 40 घायल श्रीनगर : अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाए जाने की खबर फैलने के बाद शनिवार को जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों और हिंसक प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष में 40 लोग घायल हो गए। यहां तक कि प्रशासन ने संपूर्ण कश्मीर घाटी में कर्फ्यू लागा दिया है।

कर्फ्यू प्रतिबंधों की अवहेलना करते हुए हिंसक भीड़ ने सुरक्षा के लिए तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और पुलिसकर्मियों पर बारामूला, श्रीनगर और दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिलों में पथराव किया।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि घायलों में 23 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, सोउरा (एसकेआईएमएस) में गंभीर रूप से घायल तीन लोगों को भर्ती कराया गया है।

अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया है कि तीनों घायलों की स्थिति स्थिर है, लेकिन वे खतरे से बाहर नहीं हैं। एक घायल की पहचान अफजल गुरु के गांव दोआबगाह गांव के फिरदौश अहमद के रूप में की गई है। दूसरे घायल की पहचान बारामूला कस्बे के बिलाल अहमद के रूप में की गई है, जबकि तीसरा घायल श्रीनगर जिले के बुर्जा हामा गांव का रियाज अहमद है।

नाराज भीड़ ने बारामूला जिले के रफीआबाद इलाके में नव निर्मित रेस्ट हाउस को आग के हवाले कर दिया। भीड़ ने काजीगुंड के समीप श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ जा रहे वाहनों को निशाना बनाया।

अधिकारियों ने शनिवार सुबह ही श्रीनगर के सभी स्थानीय केबल ऑपरेटरों को तत्काल सेवा स्थगित करने के निर्देश दिए। घाटी के अधिकांश हिस्से में इंटरनेट संपर्क भी निलंबित कर दिया गया है हालांकि किसी भी सेवा प्रदाता ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, राज्य के कनिष्ठ गृहमंत्री सज्जाद किचलू और राज्य पुलिस महानिदेशक अशोक प्रसाद ने कानून-व्यवस्था का जायजा लेने के लिए शनिवार सुबह जम्मू से श्रीनगर पहुंचे।

अब्दुल्ला ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार की शाम उन्हें शनिवार को अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री ने उन्हें घाटी में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाने की सलाह दी और इस दिशा में केंद्र से सभी सहायता देने का भरोसा दिया।

उमर ने कहा कि मकबूल भट्ट की तरह अफजल के डेथ वारंट पर राज्य सरकार के दस्तखत की दरकार नहीं थी, क्योंकि उसके खिलाफ राज्य में आतंकवाद से जुड़ा कोई मामला दायर नहीं हुआ था। भट्ट के ब्लैक वारंट पर राज्य सरकार ने 1984 में हस्ताक्षर किया था।

इस बीच लश्कर-ए-तैयबा का प्रवक्ता होने का दावा करते हुए डॉ. सदाकत नाम के एक व्यक्ति ने जी न्यूज के स्थानीय संवाददाता को फोन कर अफजल की फांसी का बदला लेने की धमकी दी।

फोन करने वाले ने कहा, हम अफजल गुरु की फांसी का बदला लेंगे। कब, कहां और कैसे भारत को इसकी खबर नहीं होगी। इस बीच कश्मीर विश्वविद्यालय ने शनिवार को होने वाली अपनी सभी परीक्षाएं बगैर अगली तिथि की घोषणा के स्थगित कर दी।

घाटी में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। कर्फ्यू में कब ढील दी जाएगी इसके बारे में अभी तक कुछ भी बताया नहीं गया है। 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए हमले के लिए गिलानी को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 2003 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था। (एजेंसी)

First Published: Saturday, February 9, 2013, 23:58

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