अमित शाह के गुजरात जाने पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला

अमित शाह के गुजरात जाने पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला

अमित शाह के गुजरात जाने पर SC ने सुरक्षित रखा फैसलाज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

नई दिल्‍ली : उच्चतम न्यायालय ने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह की जमानत खारिज करने को लेकर सीबीआई की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। शाह के गुजरात जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

सीबीआई ने आज सुनवाई के दौरान सोहराबुद्धीन मुठभेड़ केस की सुनवाई गुजरात से बाहर किए जाने पर जोर दिया। सीबीआई ने यह भी दलील दी कि यदि शाह को गुजरात जाने की इजाजत दी गई तो जांच प्रभावित होगा।

गौर हो कि सीबीआई पहले भी कहती रही है कि सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई गुजरात से बाहर होनी चाहिए।

गौर हो कि एक याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई के आरोपपत्र में यह बात सामने आई है कि वर्ष 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी की हत्या के बाद पुलिस ने उच्चस्तरीय लीपापोती की। इस आरोप पत्र में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह और कई वरिष्ठ पुलिसकर्मियों के नाम शामिल हैं। सीबीआई ने इन पर आपराधिक साजिश रचने और सबूत मिटाने का आरोप लगाया है।

इससे पहले, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि बहुचर्चित तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ कांड में कल गुजरात की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा। न्यायालय ने जांच ब्यूरो से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर ऐसा कर सकती है। न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ को अतिरिक्त सालिसीटर जनरल हरेन रावल ने सूचित किया कि प्रजापति फर्जी मुठभेड़ कांड में गुजरात की निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया जाएगा। न्यायालय ने प्रजापति की मां नर्मदा बाई की याचिका पर सुनवाई के दौरान जांच ब्यूरो से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर आरोप पत्र दाखिल कर सकता है। नर्मदा बाई ने इस याचिका में आरोप लगाया है कि उसके बेटे को गुजरात पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार दिया है क्योंकि वह सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ कांड का चश्मदीद गवाह था। उच्चतम न्यायालय ने आठ अप्रैल, 2011 को इस मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी थी।

First Published: Thursday, September 6, 2012, 10:38

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