Last Updated: Friday, February 15, 2013, 20:43
अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 3-2 के बहुमत के फैसले में नरेंद्र मोदी सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के लिए केंद्र सरकार की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना भेदभाव वाली है।
न्यायालय ने इस योजना को संवैधानिक तौर पर वैध ठहराते हुये मोदी सरकार को योजना पर अमल करने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ में से तीन न्यायाधीशों ने योजना के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इसकी संवैधानिक वैधता पर मुहर लगाई और कहा कि इसकी तुलना किसी तरह के आरक्षण से नहीं की जा सकती। दो अन्य न्यायाधीशों ने इसके खिलाफ राय रखी।
न्यायालय ने कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आज यह फैसला सुनाया। याचिकाओं में मांग की गयी थी कि राज्य सरकार को गुजरात में योजना को लागू करना चाहिए।
मोदी ने वर्ष 2008 में देश में शुरू की गयी इस योजना को अपने यहां लागू नहीं किया था और कहा था कि यह भेदभाव वाली योजना है।
न्यायमूर्ति वी एम सहाय, न्यायमूर्ति डी एच वाघेला और न्यायमूर्ति अकील कुरैशी ने कहा कि यह सकारात्मक योजना है और यह भेदभाव वाली प्रकृति की नहीं है।
फैसले के अनुसार यह योजना संविधान के अनुच्छेद 15 (1) का उल्लंघन नहीं करती। राज्य सरकार को योजना के क्रियान्वयन का निर्देश दिया जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Friday, February 15, 2013, 20:43