‘आंदोलन से तेलंगाना पर पुनर्विचार को केंद्र बाध्य’

‘आंदोलन से तेलंगाना पर पुनर्विचार को केंद्र बाध्य’

हैदराबाद : आंध्र-रायलसीमा के केंद्रीय मंत्रियों एवं कांग्रेस सांसदों ने आज दावा किया कि इन दोनों क्षेत्रों में 46 दिनों तक चले आंदोलन ने केंद्र को राज्य विभाजन के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया है लेकिन उन्होंने अपने इस्तीफे की मांग पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण जनता है और वे लोगों की इच्छा के अनुसार काम करेंगे।

यहां करीब ढाई घंटे तक बैठक करने वाले सीमांध्र के केंद्रीय मंत्रियों एवं सांसदों ने कहा कि वे शीघ्र ही कांग्रेस अध्यक्ष से मिलेंगे और उन्हें राज्य की एकता बनाए रखने की बढ़ती मांग से अवगत कराएंगे। इन नेताओं ने कहा कि वह रक्षा मंत्री एके एंटनी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय समिति से मौके पर आंकलन करने के लिए राज्य का दौरा करने का भी अनुरोध करेंगे।

केंद्रीय कपड़ा मंत्री कावुरी संबाशिव राव ने संवाददाताओं से कहा, ‘46 दिनों तक बच्चों समेत सभी क्षेत्रों के लोग इस मांग के साथ शांतिपूर्ण आंदोलन करते रहे कि आंधप्रदेश की एकता बनाई रखी जाए। यह अब तक का दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा आंदोलन है जिसकी लोगों ने किसी भी राजनीतिक दल या नेता के बिना किसी हस्तक्षेप के अपनी इच्छा से अगुवाई की। इस आंदोलन ने केंद्र को पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया है।’

राव ने कहा कि केंद्र ने नौ दिसंबर, 2009 को इस भय से राज्य के विभाजन को लेकर हड़बड़ी में बयान जारी कर दिया कि भूख हड़ताल पर बैठे तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव कहीं मर न जाएं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन वह ड्रामा साबित हुआ और हमने स्थापित कर दिया कि लोग पूरी तरह अखंड राज्य के पक्ष में हैं। तद्नुसार केंद्र ने 23 दिसंबर, 2009 को राज्य की विभाजन प्रकिया को लंबित रखने का दूसरा बयान जारी किया।’

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘कई राजनीतिक दलों को श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट पसंद नहीं आयी जिसने मूल रूप से सुझाव दिया था कि राज्य को एकजुट रखा जाए।’ इस साल 30 जुलाई को कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति ने राज्य को विभाजित करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी। केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री के चिरंजीवी ने दावा किया, ‘अब, आंध्र-रायलसीमा में लोगों का आंदोलन देख केंद्र ने यह प्रक्रिया धीमी कर दी है।’

जब इन मंत्रियों एवं सांसदों से सीमांध्र लोगों की इस मांग के बारे में पूछा गया कि इस क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों को कांग्रेस आलाकमान पर ज्यादा दबाव डालने के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए तब उन्होंने तपाक से कहा, ‘यह लोगों की नहीं बल्कि मीडिया की मांग है।’ उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि जरूरत महसूस होने पर वे जरूर लोगों की इच्छा का सम्मान करेंगे।

राव और चिरंजीवी के अलावा केंद्रीय मंत्री एमएम पल्लम राजू, डी. पुरंदेश्वरी, जेडी सीलम, केएस रेड्डी, सांसद एल. राजगोपाल, एमएस रेड्डी, अनंत वेंकटरामी रेड्डी, यूए कुमार, केवीपी रामचंद्र राव, बी. झांसी, एसपीवाई रेड्डी, के. बापीराजू और राज्य के मंत्री एस. सैलजानाथ ने बैठक में हिस्सा लिया। केंद्रीय मंत्री किशोर चंद्र देव, पनाबाका लक्ष्मी और किल्ली कृपारानी, सांसद आरएस राव, जी. हर्ष कुमार एवं चिंता मोहन ने उसमें भाग नहीं लिया। (एजेंसी)

First Published: Saturday, September 14, 2013, 19:00

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