Last Updated: Monday, March 5, 2012, 11:10
मुंबई : बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक को आगामी 12 मार्च को अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट दे दी और उनकी जगह विशेष निदेशक को स्थिति रिपोर्ट के साथ उपस्थित होने को कहा। उस रिपोर्ट में बताने को कहा गया है कि आदर्श सोसाइटी घोटाले की जांच में एजेंसी ने क्या कदम उठाए गए हैं।
न्यायमूर्ति पी बी मजूमदार और न्यायमूर्ति आर डी धानुक की पीठ ने गत 28 फरवरी को ‘गंभीर चूक’ और धन शोधन के लिए सोसाइटी के सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू करने में विफल रहने के लिए जांच एजेंसी को फटकार लगाई थी और आगामी 12 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक को तलब किया था।
जांच एजेंसी ने बाद में एक आवेदन दायर किया जिसमें अदालत से अपने आदेश में संशोधन करने और विशेष निदेशक या संयुक्त निदेशक को दी गई तारीख पर अदालत के समक्ष उपस्थित होने की अनुमति दी जाए।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर वी देसाई ने अदालत से कहा कि एजेंसी जांच से पीछे नहीं हट रही है और जांच के बारे में सूचित करने के लिए विशेष निदेशक या संयुक्त निदेशक अदालत के समक्ष उपस्थित होंगे।
न्यायमूर्ति मजूमदार ने कहा, विशेष निदेशक उच्चतर अधिकारी होता है। हम उन्हें स्थिति रिपोर्ट के साथ पेश होने को कहते हैं जिसमें धन शोधन के सिलसिले में गलती करने वाले लोगों के खिलाफ क्या कदम उठाए गए हैं या क्या कदम उठाये जाने का प्रस्ताव है इसका ब्योरा देना होगा। जिन लोगों के खिलाफ सबूत पाए गए हैं उन सबके खिलाफ अभियोग चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को आदेश देते हुए अदालत ने कहा, हम चाहते हैं कि ठोस कदम उठाए जाएं।
सीबीआई ने पाया है कि अनेक सदस्यों ने बेनामी लेन-देन के जरिए फ्लैट खरीदे हैं। यह प्रवर्तन निदेशालय की जिम्मेदारी है कि वह इसकी जांच करे। देसाई ने अदालत से कहा, संयुक्त निदेशक की निगरानी में एक विशेष दल का गठन किया गया है और एजेंसी इसकी जांच शुरू करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा, विशेष दल का मतलब जांच में और विलंब नहीं होना चाहिए। हम अदालत में जनता की जो आस्था है, उससे विश्वासघात नहीं कर सकते। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 5, 2012, 17:18