Last Updated: Wednesday, December 12, 2012, 19:03
मुंबई: महिलाओं पर हाल में हुए हमलों पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि आम आदमी को अब कानून और पुलिस तंत्र का डर नहीं रह गया है।
न्यायमूर्ति वी एम कानाडे और न्यायमूर्ति पी डी कोडे की पीठ ने शहर में महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा उपायों के संबंध में स्वत: संज्ञान में ली गयी जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
पुणे में एक बीपीओ कर्मचारी से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में दो लोगों को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि के बाद न्यायाधीशों ने महिलाओं की सुरक्षा के लिये दिशा निर्देश तैयार करने का सुझाव दिया था। न्यायाधीशों के इन्हीं सुझावों को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया गया है।
उपनगरीय कांदिवली में एक पुरुष द्वारा एक महिला का चेहरा जला देने की घटना का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति कानाडे ने कहा कि क्या हो रहा है। कुछ वाकई बेहद गलत है। एक समय ऐसा था जब सिर्फ एक कांस्टेबल की मौजूदगी अपराध को रोकने के लिए पर्याप्त थी। अब किसी को कोई डर नहीं है। पीठ ने कहा कि वह शहर में महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए तैयार किए जाने वाले दिशा-निर्देश पर अपना विवेक लगाएगी। अदालत ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर अपना हलफनामा दायर कर सकती है।
अदालत को मुख्य लोक अभियोजक रेवती डेरे ने सूचित किया कि उच्चतम न्यायालय ने इस साल 30 नवंबर को छेड़खानी के मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों को निर्देश भेजा है।
पीठ ने कहा कि चूंकि शीर्ष अदालत पहले ही छेड़खानी के मुद्दे की पड़ताल कर रही है इसलिए उच्च न्यायालय के लिए उसपर विचार करना जरूरी नहीं है। इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई की तारीख अगले हफ्ते के लिए निर्धारित कर दी। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 12, 2012, 19:03