Last Updated: Thursday, August 29, 2013, 15:26

नई दिल्ली : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले की सुनवाई से विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) को हटाने के कर्नाटक सरकार के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की तीन सदस्यीय खंडपीठ आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) की प्रमुख के अनुरोध पर इस मामले की कल सुनवाई करने पर सहमत हो गयी। जयललिता ने इस मामले में भवानी सिंह को एसपीपी के पद से हटाने के फैसले को चुनौती दी है।
जयललिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता यू यू ललित ने न्यायालय में यह मसला उठाते हुये कहा कि अभियोजक हटाने के फैसले को बदलने की जरूरत है। कर्नाटक सरकार ने 26 अगस्त को अधिसूचना जारी कर सिंह की बतौर एसपीपी नियुक्ति वापस ले ली थी।
सरकारी अधिसूचना में कहा गया था कि विशेष अदालत में जयललिता एवं अन्य के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में सहयोग के लिए वरिष्ठ वकील भवानी सिंह की बतौर एसपीपी की गयी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से वापस ली जाती है। अन्नाद्रमुक प्रमुख पर 1991-1996 के दौरान तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए 66.65 करोड़ रूपए की संपत्ति अर्जित का आरोप है।
शीर्ष अदालत ने इस मामले की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2003 में यह मामला चेन्नई से बेंगलूर स्थानांतरित कर दिया था। तब भी वह मुख्यमंत्री थीं। जयललिता ने आरोप लगाया था कि पिछली द्रमुक सरकार ने राजनीतिक कारणों से उनके खिलाफ यह मामला जड़ दिया है। उन्होंने उससे पहले निचली अदालत में सीआरपीसी की धारा 313 के तहत अपना बयान दर्ज कराया था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, August 29, 2013, 15:26