Last Updated: Wednesday, August 22, 2012, 21:17
गाजियाबाद : आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड में बचाव पक्ष ने बुधवार को सवाल उठाया कि फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने किस आधार पर जांच के नमूनों से निष्कर्ष निकाले, वहीं इस मामले की सुनवाई कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने गवाहों से जिरह एक दिन के लिए टाल दी।
जिरह के दौरान बचाव पक्ष के वकील जीपी थरेजा ने दिल्ली स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री के वैज्ञानिक बीके महापात्र से पूछा कि वह किस प्रकार अपने नतीजे पर पहुंचे।
महापात्र ने 14 अगस्त को अदालत को बताया था कि सीबीआई ने जो नमूने मुहैया कराए हैं, उसके आधार पर आरुषि के साथ यौन सम्बंध के बारे में नहीं कहा जा सकता।बचाव पक्ष के वकीलों ने आवेदन दायर कर कहा कि महापात्र के नतीजों के आधार को अदालत में पेश किया जाना चाहिए और उन्हें इसके निरीक्षण की अनुमति मिलनी चाहिए।
सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस. लाल ने महापात्र से जिरह गुरुवार तक के लिए टाल दी और बचाव पक्ष के आवेदन पर निर्णय भी लम्बित छोड़ दिया। फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने 31 जुलाई को अदालत को बताया था कि आरुषि के कपड़ों तथा उसके विस्तर पर खून के जो धब्बे मिले हैं, वह उसके ब्लड ग्रुप से मिलता है। उसने कहा था कि जांच के लिए व्हिस्की की जो बोतल भेजी गई थी उस पर आरुषि और हेमराज के फिंगरप्रिंट मौजूद थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 22, 2012, 21:17