Last Updated: Tuesday, September 10, 2013, 18:45
इंदौर : नाबालिग लड़की के यौन शोषण मामले में जेल में बंद आसाराम के इंदौर स्थित आश्रम में लीज की जमीन और निर्माण कार्यों की अलग-अलग गड़बड़ियों के खुलासे के बाद जिला प्रशासन ने आश्रम के संचालक को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया। लम्बी लुका-छिपी और नाटकीय घटनाक्रम के बाद जोधपुर पुलिस ने स्वयंभू संत को 31 अगस्त की आधी रात इसी आश्रम से गिरफ्तार किया था।
इंदौर के जिलाधिकारी आकाश त्रिपाठी ने बताया कि अनुविभागीय मजिस्ट्रेट की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति की जांच में पता चला है कि खंडवा रोड पर लीज की सरकारी जमीन पर खड़े आसाराम आश्रम में न केवल लीज डीड की शर्तों का उल्लंघन किया गया, बल्कि शासकीय भूमि पर अतिक्रमण और गैरकानूनी निर्माण भी कर लिया गया।’ त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने लीज डीड के उल्लंघन पर आसाराम गुरुकुल आश्रम और ध्यान योग केंद्र के संचालक को नोटिस जारी किया और उसे सुनवाई का अवसर दिया।
उन्होंने बताया कि लीज डीड में यह प्रावधान है कि इसकी शर्तों के उल्लंघन पर आसाराम आश्रम से संबंधित जमीन के मौजूदा बाजार मूल्य के बराबर राशि और उचित जुर्माना वसूला जा सकता है।
त्रिपाठी ने बताया कि आश्रम की अन्य गड़बड़ियों पर राजस्व विभाग के अफसर आसाराम आश्रम के संचालकों को मध्यप्रदेश भू.राजस्व संहिता के संबंधित प्रावधानों के तहत अलग.अलग नोटिस जारी करके उनसे जवाब मांगेंगे। आश्रम संचालकों को इन नोटिसों का जवाब देने के लिये कम से कम सात दिन की मोहलत दी जायेगी। जारी
वर्ष 1998 में दिग्विजय सिंह की अगुवाई वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आसाराम आश्रम के संचालन से जुड़े ट्रस्ट को इंदौर से सटे लिम्बोदी और बिलावली गांवों में करीब सात हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली बेशकीमती सरकारी जमीन महज एक रुपये के वाषिर्क भू-भाटक पर दी थी। जिलाधिकारी ने बताया, ‘लीज डीड की शर्तों में साफ था कि इस ट्रस्ट को आवंटित जमीन पर किसी तरह का पक्का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। लेकिन आसाराम आश्रम में पक्के निर्माण करके लीज डीड का सीधा उल्लंघन किया गया।’ त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने इस ट्रस्ट को योग केंद्र और औषधि उद्यान विकसित करने के लिये लीज पर जमीन दी थी। लेकिन लीज डीड की शर्तों को तोड़ते हुए इस जमीन पर एक स्कूल भी खोल लिया गया जिसे व्यावसायिक तौर पर चलाया जा रहा है।
त्रिपाठी ने बताया कि आसाराम आश्रम के करीब चार हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की जा रही है, जबकि प्रदेश सरकार ने ट्रस्ट को कृषि कार्य के लिये लीज पर जमीन नहीं दी थी।
उन्होंने बताया कि आसाराम आश्रम के कर्ता-धर्ताओं ने लीज पर मिली सरकारी जमीन के पास निजी कृषि भूमि भी खरीदी है। इस कृषि भूमि को नियमानुसार आवासीय जमीन में बदलवाये बगैर इस पर दो मंजिला बंगला और स्वीमिंग पूल बना दिया गया, जो गैरकानूनी निर्माण की श्रेणी में आता है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, September 10, 2013, 18:45