इशरत केस: IB अधिकारी के खिलाफ साक्ष्य से MHA संतुष्‍ट नहीं

इशरत केस: IB अधिकारी के खिलाफ साक्ष्य से MHA संतुष्‍ट नहीं

इशरत केस: IB अधिकारी के खिलाफ साक्ष्य से MHA संतुष्‍ट नहींनई दिल्ली : गृह मंत्रालय इस बात से संतुष्ट नहीं है कि इशरत जहां मुठभेड़ मामले में खुफिया ब्यूरो (आईबी) के एक शीर्ष अधिकारी को गिरफ्तार करने या उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई के पास साक्ष्य है। नौ वर्ष पुरानी फर्जी मुठभेड़ की इस घटना में गुजरात में इशरत के अलावा तीन और लोगों की भी मौत हुई थी।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच एजेंसी ने आईबी के विशेष निदेशक राजेन्दर कुमार के खिलाफ अपना साक्ष्य उसके साथ साझा किया है और इस कुख्यात मामले में उसे गिरफ्तार करने का इरादा जाहिर किया है। अधिकारी ने कहा कि सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने गृह मंत्रालय के साथ साक्ष्य साझा किया है, जिसके बाद मंत्रालय ने सीबीआई से कहा कि यह साक्ष्य नहीं दर्शाता कि कुमार मुठभेड की साजिश का हिस्सा थे। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं।

गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कुमार के खिलाफ इतने साक्ष्य नहीं हैं कि सीबीआई को कथित फर्जी मुठभेड मामले में कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी जा सके। सीबीआई ने हालांकि गृह मंत्रालय से कुमार पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं मांगी है, जो आईपीएस अधिकारियों का कैडर नियंत्रक है। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई गृह मंत्रालय से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगे बगैर कुमार को 31 जुलाई को उनके सेवानिवृत्त होने के बाद गिरफ्तार करने और उन पर मुकदमा चलाने की योजना बना रही है। इस बीच सीबीआई सूत्रों ने बताया कि उसे कुमार पर मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय से अनुमति की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मामला कथित फर्जी मुठभेड का है, जो किसी सरकारी अधिकारी की ड्यूटी का हिस्सा नहीं है।

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि कथित फर्जी मुठभेड के कुछ मामलों में, जो पंजाब में हुए और जिनकी जांच सीबीआई ने की, मुकदमे के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि कथित फर्जी मुठभेड के कुछ मामलों में, जो पंजाब में हुए और जिनकी जांच सीबीआई ने की, मुकदमे के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। पिछले पखवाडे सीबीआई ने आईबी के वरिष्ठ अधिकारी से पूछताछ की थी ताकि उस कथित फर्जी मुठभेड की साजिश में उनकी भूमिका का पता लग सके, जिसमें इशरत और तीन अन्य लोग मारे गए थे।

सीबीआई सूत्र कहते आए हैं कि ऐसे साक्ष्य हैं कि कुमार उन अधिकारियों में से एक हैं, जिन्होंने इशरत से उस समय पूछताछ की थी, जब उसे गुजरात पुलिस ने कथित रूप से अवैध हिरासत में रखा था। सूत्रों ने कहा कि इशरत से कथित पूछताछ और अन्य जानकारियों को लेकर अधिकारी से लंबी पूछताछ हुई। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान कुमार अस्पष्ट थे और लगातार कह रहे थे कि उन्हें घटना से जुड़े कई बिंदु याद नहीं हैं क्योंकि घटना नौ साल पहले हुई थी।

सूत्रों ने बताया कि 1979 बैच के मणिपुर-त्रिपुरा कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार ने कथित रूप से खुफिया जानकारी दी थी कि लश्कर-ए-तोएबा के आतंकियों का एक समूह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने अहमदाबाद आने वाला है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, June 29, 2013, 00:09

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