Last Updated: Tuesday, July 9, 2013, 17:07

अहमदाबाद : सीबीआई की विशेष अदालत ने निलंबित पुलिस उपाधीक्षक एनके. अमीन की जमानत याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि इशरत जहां मामले में सीबीआई की ओर से दायर आरोपपत्र अधूरा है।
सीबीआई की विशेष अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एसएच. खुटवाड ने आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि आवेदक ने निर्धारित 90 दिन के अंदर जमानत याचिका दायर की है जबकि सीआरपीसी की धारा के मुताबिक जमानत याचिका 90 दिन के बाद दायर की जानी है और वह भी उस स्थिति में जब आरोपपत्र दाखिल नहीं की गई हो।
अदालत ने टिप्पणी की कि चूकि इस मामले में आरोपपत्र 90 दिनों के अंदर दाखिल किया गया है, इसलिए इस तर्क का कोई मतलब नहीं है कि आरोपपत्र अधूरा है।
अमीन एवं तीन अन्य को 2004 के इशरत फर्जी मुठभेड़ मामले में चार अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था । उन्होंने चार जुलाई को जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि सीबीआई ने अधूरा आरोपपत्र दायर किया इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए ।
सीबीआई ने अमीन सहित सात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और उन पर 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लै, जीशान जौहर और अमजद अली राणा की मुठभेड़ में हत्या करने एवं आपराधिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है।
सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा है कि यह मुठभेड़ फर्जी था और इसे गुजरात पुलिस तथा गुप्तचर ब्यूरो ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया । सीबीआई के आरोपपत्र के मुताबिक अमीन ने तरूण बरोट के साथ मिलकर इशरत एवं जावेद शेख की हत्या से दो दिन पहले उनका आनंद जिले के वलसाड टोल बूथ से अपहरण किया ।
उन पर इशरत, जावेद एवं दो कथित पाकिस्तानी नागरिकों जोहर एवं राणा पर अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गोली चलाने का भी आरोप है जहां उन्हें कथित फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था । अमीन सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में भी आरोपी है ।
इससे पहले इशरत मामले में निलंबित पुलिस अधिकारी जी. एल. सिंघल, तरूण बरोट, जे. जी. परमार, भरत पटेल और अनाजु चौधरी सहित पांच को जमानत मिल गई थी क्योंकि सीबीआई उनके खिलाफ निर्धारित 90 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रही थी । (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 9, 2013, 17:07