Last Updated: Saturday, August 4, 2012, 18:15
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मानसूनी बारिश के कारण तटीय तथा तराई इलाकों में नदियों ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। प्रदेश के प्रभावित इलाकों में सैकड़ों गांव तथा मजरे बाढ़ के पानी से घिर गये हैं। केन्द्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार गंगा, रामगंगा, घाघरा, सरयू, शारदा, राप्ती, बूढ़ी राप्ती तथा क्वानो नदियां रौद्र रूप अख्तियार करती जा रही हैं। बाढ़ तथा कटान के कारण प्रभावित क्षेत्रों से लोगों का पलायन शुरू हो गया है।
घाघरा का जलस्तर एल्गिनब्रिज (बाराबंकी) तथा अयोध्या में लगातार खतरे के निशान से उपर बना हुआ है, जबकि तुर्तीपार (बलिया) में भी वह लाल निशान के नजदीक पहुंच चुका है। शारदा नदी का जलस्तर पलियाकलां (लखीमपुर खीरी) में खतरे के चिहन से उपर बरकरार है, वहीं बूढ़ी राप्ती भी ककरही (सिद्धार्थनगर) में लाल निशान को पार कर चुकी है। राप्ती नदी काकरधारी (बहराइच), भिनगा (श्रावस्ती) तथा बलरामपुर में जबकि क्वानो चंद्रदीपघाट (गोंडा) में खतरे के निशान के नजदीक पहुंच गयी है।
इस बीच, गोंडा से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले में घाघरा तथा सरयू नदियां लाल निशान पार कर गयी हैं। घाघरा की बाढ़ के कारण बहुवनमदार मांझा तथा कमियार ग्राम पंचायतों के 300 से ज्यादा मजरे पानी से घिर गये हैं। प्रभावित लोगों का सुरक्षित स्थानों पर पलायन शुरू हो गया है। मांझा रायपुर तथा परसावल गांव के पास एल्गिन-चरसड़ी बांध में कटान तेज हो गयी है। कमियार ग्राम पंचायत में करीब 22 ग्राम पंचायतों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है जबकि बहुवनमदार मांझा में करीब 400 मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 4, 2012, 18:15