Last Updated: Wednesday, June 26, 2013, 11:19
ज़ी मीडिया ब्यूरोदेहरादून : उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में फंसे तीर्थयात्रियों और इन्हें बचाने में लगे जवानों के लिए बारिश फिर से मुसीबत बन गई है। इस आपदा में 800 से ज्यादा लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है। करीब 5000 लोग अभी भी बारिश की वजह से फंसे हैं। खराब मौसम के चलते मंगलवार को सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ का बचाव अभियान काफी प्रभावित रहा।
आपदा प्रभावित उत्तराखंड में बुधवार सुबह बारिश एवं घने कोहरे की वजह से कुछ इलाकों में बचाव कार्य में देरी हो रही है। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'मंगलवार को हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद, हम सावधानी के साथ आगे बढ़ रहे हैं ताकि ऐसा हादसा दोबारा न हो। हम मौसम के ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं।' उन्होंने बताया कि कुछ इलाकों में आसमान साफ है, वहीं कोहरा चिंता का विषय बना हुआ है।
बचाव कार्य में लगे अधिकारियों ने बताया कि जोशीमठ और हर्शिल में बद्रीनाथ के रास्ते अभी भी फंसे 7,500 से अधिक लोगों को बाहर निकालने का काम दोपहर तक शुरू होगा। उत्तरकाशी के धारासु में हालांकि, हेलीकॉप्टर से बचाव कार्य चल रहा है। लेकिन खराब मौसम की वजह से इस पर प्रभाव पड़ रहा है, इसलिए सेना अब लोगों को पैदल निकालने की कोशिश कर रही है।
उत्तराखंड में 15 जून को आई प्राकृतिक आपदा में अब तक 845 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। इस बीच, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के हेलीकॉप्टर में दुर्घटना से पूर्व सवार हुए 20 में से 8 लोगों के शव मंगलवार को और चार शव बुधवार सुबह तक बरामद कर लिए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, शेष 8 लोगों के बचने की सम्भावना काफी कम है।
First Published: Wednesday, June 26, 2013, 09:39