Last Updated: Monday, June 24, 2013, 18:14
देहरादून : आपदा पीड़ित उत्तराखंड में मृतकों की पहचान न होने पाने पर उनके डीएनए संरक्षित कर रखे जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि कई शव सड़ चुके हैं।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने, फोरेंसिक विशेषज्ञों, उपमंडलीय दंडाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर शवों की पहचान का काम शुरू कर दिया है और पहचान न हो पाने की स्थिति में उनके डीएनए संरक्षित कर रहे हैं। गौरीकुंड और केदारनाथ पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि कुछ शव नष्ट हो गए हैं और इनके पहचान की उम्मीद नहीं है।
एक अधिकारी ने कहा कि स्थिति बहुत बिगड़ गई है, कई शवों को कुत्तों ने खा लिया है, कई सड़ गए हैं और मलबे, कीचड़ और शिलाखंडों के नीचे दबे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ घाटी में फंसे सभी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को रविवार को निकाल लिया गया, और बचाव कार्य में जुटी सेना और अन्य लोग सोमवार को बद्रीनाथ और हर्सिल में फंसे लोगों को निकालने के काम में जुटेंगे।
अधिकारियों ने कहा कि जिस तरह से केदारनाथ घाटी एवं नजदीकी इलाकों में बचावकर्मियों को शव मिल रहे हैं, उसके अनुसार मृतकों की संख्या और विनाश की स्थिति और भयावह हो सकती है। अधिकारी ने बताया कि दर्जनों गांव, पार्किं ग में चालकों के साथ खड़ी कई गाड़ियां बह गई हैं। यहां से सैंकड़ों लोग लापता हुए हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा मृतकों का आंकड़ा हजार के पार करने की आशंका व्यक्त करने के एक दिन बाद राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि मृतकों की संख्या कम से कम 5,000 हो सकती है।
राज्य के जोली ग्रांट एयरपोर्ट पर संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कम से कम 5,000 लोग इस आपदा में मारे गए होंगे, हम पूरी निश्चितता के साथ नहीं कह सकते, लेकिन आंकड़ा ज्यादा हो सकता है। वहां से वापस लौटे लोगों के मुताबिक, ठंड, बीमारी,भोजन और पानी की कमी की वजह से मृतकों की संख्या कई हजार हो सकती है।
केदारनाथ से वापस आए स्नेहिल गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि अपनी रक्षा के लिए दो दोस्तों के साथ पहाड़ पर पहुंचने के दौरान उन्होंने सड़क किनारे, जंगलों और गांवों में लोगों के शव देखे हैं। उनकी कार और चालक अभी भी लापता है। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 24, 2013, 18:14