Last Updated: Tuesday, August 13, 2013, 22:51

नई दिल्ली : उत्तराखंड में हाल ही में हुई विभीषिका से चिंतित उच्चतम न्यायालय ने राज्य में कोई भी नई पन बिजली परियोजना शुरू करने पर मंगलवार को रोक लगा दी। न्यायालय ने ऐसी परियोजनाओं से होने वाले पर्यावरण क्षरण का अध्ययन करने के लिये विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया कि अगले आदेश तक किसी भी पन बिजली परियोजना को पर्यावरण या वन संबंधी मंजूरी नहीं दी जाए।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि हम हाल ही में हुई त्रासदी से बेहद चिंतित है जिसने उत्तराखंड के चार धाम इलाके को प्रभावित किया है और जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान और संपत्ति का नुकसान हुआ है। न्यायालय ने केन्द्र सरकार को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि क्या 24 प्रस्तावित परियोजनाओं से अलकनंदा और भागीरथी नदियों के तट पर जैवविविधता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
न्यायाधीशों ने कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें राज्य सरकार के साथ ही भारतीय वन्यजीव संस्थान, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, केंद्रीय जल आयोग और दूसरी विशेषज्ञ संस्थाओं के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए जो विस्तृत अध्ययन करके यह पता लगायें कि मौजूदा और निर्माणाधीन पन बिजली परियोजनाओं का पर्यावरण क्षरण में योगदान रहा है और यदि ऐसा है तो किसी सीमा तक यह हुआ है और क्या मौजूदा जून के महीने में उत्तराखंड में आई आपदा में इसका योगदान रहा है।
न्यायालय ने उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करके यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि क्या उसके पास राज्य के लिये कोई आपदा प्रबंधन योजना है और मौजूदा अप्रत्याशित त्रासदी से निबटने में यह योजना कितनी सक्षम है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 13, 2013, 22:51