उत्तराखंड में फिर बारिश, राहत और बचाव कार्य रुका

उत्तराखंड में फिर बारिश, राहत और बचाव कार्य रुका

उत्तराखंड में फिर बारिश, राहत और बचाव कार्य रुकाज़ी मीडिया ब्यूरो
देहरादून: उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन से तबाह इलाकों में चल रहे राहत और बचाव कार्य एक बार फिर बारिश की वजह से रोकना पड़ गया है। बारिश थमने के बाद ही फिर राहत और बचाव कार्य शुरू हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि दो जगह भूस्खलन भी हुए हैं। मौसम विभाग ने सोमवार को भारी बारिश की भविष्यवाणी की थी। कई इलाकों में बारिश हो रही है और 28 जून तक बारिश होने की संभावना है।

उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों बादल फटने से आए सैलाब के कारण हुए भारी तबाही को देखते हुए गत सात दिन में बचाव एवं राहत कार्य के जरिए अब तक करीब अस्सी-नब्बे हजार लोग निकाले जा चुके हैं। मुख्यमंत्री बहुगुणा ने बताया कि अब करीब 15 हजार लोग फंसे हुए हैं।

उत्तराखंड के आपदा मामलों के मंत्री यशपाल आर्य ने दावा किया है कि राज्य में पिछले दिनों आई प्राकृतिक आपदा में 5000 से अधिक लोगों की मौत हुई है। हालांकि इस आपदा में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 680 बताया गया है जबकि राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने शनिवार को मीडिया से कहा था कि इस घटना में एक हजार से अधिक लोग मारे गए हैं। इस बीच केदारानाथ की विधायक शैला रानी पहले दिन से ही कह रही हैं कि सर्वाधिक प्रभावित केदारनाथ में मृतकों की संख्या 4000 से अधिक हो सकती है।


मौसम विभाग की ओर से उत्तराखंड में मौसम खराब रहने की चेतावनी दिए जाने के बाद बचाव अभियान में जुटी तमाम एजेंसियों, थल सेना, वायुसेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ आदि ने बद्रीनाथ सहित तीन इलाकों में फंसे 10 हजार लोगों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य जुटा है। खराब मौसम के कारण कुछ देर के लिए हवाई अभियानों को भी बंद करना पड़ा।

नई दिल्ली में पत्र सूचना कार्यालय की महानिदेशक नीलम कपूर ने बताया कि आज बचाए गए 12 हजार लोगों को मिलाकर अभी तक 80 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है जबकि अभी भी 10 हजार लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय वायु सेना के अभियान में 45 हेलीकॉप्टरों ने अपने 250 उड़ानों में करीब 3,200 लोगों को वहां से निकाला है।

एनडीआरएफ ने विभिन्न इलाकों में जीवित बचे लोगों का पता लगाने के लिए अपने मानवरहित विमान ‘नेत्र’ को काम पर लगाया है। एनडीआरएफ के उपमहानिरीक्षक एस. एस. गुलेरिया ने कहा कि ‘नेत्र’ कल भी काम करेगा ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सभी जीवित बचे लोगों को पता लगाया जा सके और उन्हें वहां से बाहर निकाला जा सके। लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के इस काम के लिए रस्सी के पुल और पैदल रास्ते बनाए जा रहे हैं। वहां फंसे हुए लोगों के लिए यह अंधेरे में ‘आशा की किरण’ है।

अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ घाटी से सभी लोगों को निकाल लिया गया है जबकि बद्रीनाथ, जंगलचट्टी, और हषिर्ल इलाके में फंसे तीन हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षा बलों ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। केदारनाथ मंदिर के आसपास के इलाके में अभी भी कई शव पड़े हुए हैं। वहां का दृश्य बड़ा विभत्स है।

First Published: Monday, June 24, 2013, 11:15

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