Last Updated: Sunday, March 18, 2012, 17:41
नई दिल्ली/देहरादून : उत्तराखंड में राजनीतिक संकट रविवार को भी शांत नहीं हुआ और नाराज केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्हें गतिरोध समाप्त करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कोई ‘ठोस प्रस्ताव’ नहीं मिला है।
यह पूछे जाने पर कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए क्या उन्हें आलाकमान की ओर से कोई प्रस्ताव मिला है, रावत ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, मेरे पास क्षतिपूर्ति के लिए ऐसा कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया है। यदि ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो मैं उसके बारे में अपने समर्थकों से चर्चा करूंगा। बहुगुणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के करीब एक सप्ताह बाद रावत ने कहा कि वह और उनके समर्थक किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं हैं और उनका सरकार को अस्थिर करने का कोई इरादा नहीं है। मामले को सुलझाने के उद्देश्य से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बहुगुणा और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से विचार विमर्श किया।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में कांग्रेस उत्तराखंड के महासचिव प्रभारी चौधरी वीरेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल भी मौजूद थे।
रावत को मनाने के प्रयास के तहत कांग्रेस पर्वतीय राज्य से राज्यसभा की एकमात्र सीट पर नामांकन के लिए उनकी पत्नी के नाम पर विचार कर रही है। ऐसा समझा जाता है कि इस मुद्दे पर रववार की बैठक में चर्चा हुई। राज्यसभा सीट के लिए नामांकन की अंतिम तिथि सोमवार समाप्त हो रही है। इस बात के संकेत हैं कि पार्टी पार्टी में बगावती तेवर अपनाने वाले रावत की कुछ मांगे मानने को तैयार है। वीरेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा था कि पार्टी आलाकमान रावत को उनका हक देना चाहता है।
इस बीच रावत ने उन दावों को खारिज कर दिया कि वह क्षतिपूर्ति के रूप में अपनी पत्नी के लिए पर्वतीय राज्य से राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए सौदेबाजी कर रहे हैं। 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 32 विधायक हैं तथा उसे बहुमत के लिए सात गैर भाजापा विधायकों का समर्थन हासिल है।
रावत के साथ निष्ठा रखने वाले 14 विधायकों को अभी शपथ ग्रहण करनी है इसलिए सरकार गठन में बाधा आ रही है। बहुगुणा ने मुख्यमंत्री के तौर पर गत मंगलवार को शपथ ग्रहण कर लिया है।
रावत ने कहा, मैंने अपने समर्थकों की कई बैठकों में कहा कि मुख्यमंत्री पद खाली नहीं है। मैंने यह शुरू से ही स्पष्ट किया है कि जो समस्या सामने आयी है उसका हल पार्टी के भीतर ही होगा। उन्होंने हालांकि कहा कि यह कहना ‘सही नहीं है’ कि उन्हें पार्टी के भीतर समर्थन हासिल नहीं है। उन्होंने कहा, यह कहना गलत है कि मुझे राज्य में कोई समर्थन हासिल नहीं है लेकिन पार्टी को दावा खारिज करने का अधिकार है, यह पार्टी का विशेषाधिकार है और मैं इस पर कोई प्रश्न खड़ा नहीं कर रहा हूं। मैं केवल अपने पक्ष में समर्थन साबित करना चाहता हूं और मैं विधायकों का आभारी हूं। रावत ने अपने समर्थकों की आकांक्षाओं के बारे में कहा कि लोकतंत्र में बातचीत हमेशा होती है लेकिन ‘महत्वाकांक्षा और वास्तविकताओं’ में अंतर है।
रावत और उनके समर्थकों की बैठक उनके आवास पर पूरे दिनभर चली। उनके नजदीकी सूत्रों ने कहा कि समझौता तभी होगा जब उनकी चिंताओं पर विचार किया जाता है।
बहुगुणा ने संवाददाताओं से कहा, रावत और मैं निर्णय नहीं कर सकते (मुद्दे पर) हमारे सुझावों पर सोनिया गांधी की मुहर होनी चाहिए। हरीश रावत मेरे सम्मानित सहयोगी हैं। उनके अपने विचार हो सकते हैं लेकिन मूल रूप से वह कांग्रेसी हैं।
सोनिया का विश्वास जीतने के बाद 13 मार्च को मुख्यमंत्री बनने वाले बहुगुणा के समक्ष अपनी सरकार को स्थायित्व प्रदान करने के लिए अलग अलग गुटों को एकसाथ लाने का दुर्गम कार्य है। यह कार्य पूरा होने तक बहुगुणा को अपना मंत्रिमंडल विस्तार में परेशानी हो रही है। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले तीन निर्दलीय, बसपा के तीन तथा उत्तराखंड क्रांति दल का एक विधायक भी सत्ता में भागीदारी की मांग कर रहे हैं और उन्हें भी स्थान देना पड़ेगा। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 18, 2012, 23:11