उत्‍तराखंड: बहुगुणा ने ली सीएम पद की शपथ - Zee News हिंदी

उत्‍तराखंड: बहुगुणा ने ली सीएम पद की शपथ



ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो/एजेंसी

 

देहरादून : कांग्रेस सांसद विजय बहुगुणा को मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। सांसद हरीश रावत के विद्रोह को कांग्रेस द्वारा निष्प्रभावी किए जाने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। रावत ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। दिवंगत कांग्रेस नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के पुत्र 65 वर्षीय बहुगुणा ने यहां परेड ग्राउंड में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में अकेले पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। उनके साथ किसी अन्य मंत्री ने शपथ नहीं ली। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के आधे से भी कम विधायक पहुंचे।

 

अपने शपथ ग्रहण से पहले बहुगुणा ने संवाददाताओं से कहा कि छह और मंत्रियों को आला कमान से सलाह-मशविरे के बाद तीन या चार दिनों में मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाएगा। राज्यपाल मार्गेट अल्वा ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक गुलाम नबी आजाद, वीरेंद्र सिंह, पार्टी सांसद सतपाल महाराज, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य और बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा जोशी मौजूद थीं।

 

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कांग्रेस के 32 विधायकों में से सिर्फ 11 मौजूद थे। उनके साथ तीन निर्दलीय विधायक मंत्री प्रसाद नेतानी, हरीष दुर्गापाल और दिनेश तन्हाई और उत्तराखंड क्रांति दल के विधायक प्रीतम सिंह पंवार मौजूद थे। मुख्यमंत्री पद के अन्य दावेदार और कांग्रेस के नेता हरक सिंह रावत और इंदिरा हृदयेश की अनुपस्थिति साफ तौर पर देखी जा रही थी। साथ ही हरीश रावत समर्थकों की भी अनुपस्थिति साफ झलक रही थी। 70 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस को 32 सीटें मिली हैं। वहीं, भाजपा को 31 सीटें मिलीं। कांग्रेस तीन निर्दलीयों, तीन बसपा विधायकों और उत्तराखंड क्रांति दल (के) के एक विधायक का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही।

 

लेकिन रावत के बगावत ने पार्टी नेतृत्व को आश्चर्यचकित किया है। ऐसा समझा जाता है कि अच्छी खासी संख्या में रावत को विधायकों का समर्थन हासिल है। पार्टी के फैसले से नाराज रावत ने कथित तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इस्तीफा देने की पेशकश की। राजधानी में उनके समर्थकों ने दावा किया कि रावत ने इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, रावत ने खुद इसकी पुष्टि करने या खंडन करने से इनकार कर दिया।

 

शपथ ग्रहण समारोह रावत और उनके समर्थकों के दिल्ली स्थित उनके आवास पर गुप्त बैठक करने के बीच हुआ। मुख्यमंत्री बनाए जाने की केंद्रीय मंत्री की मांग को आला कमान द्वारा खारिज किए जाने के बाद वे अपनी अगली रणनीति पर विचार कर रहे हैं। राजपूत नेता रावत 1980 में भाजपा के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी को हराकर पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में वह तब पीछे छूट गए जब सोनिया गांधी ने इस पद के लिए बहुगुणा को चुना।

 

तब से केंद्रीय कृषि एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री रावत नाराज हैं और उन्होंने पार्टी को साफ कर दिया है कि उनकी दूसरी बार इस पद के लिए अनदेखी की गई है। दस साल पहले उनकी जगह नारायण दत्त तिवारी को तरजीह देकर मुख्यमंत्री बनाया गया था। विद्रोह के बीच इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि क्या पार्टी अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। लेकिन कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए व्यक्ति में बदलाव किए जाने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और वीरेंद्र सिंह केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर रवाना हो गए हैं और मुख्यमंत्री के तौर पर बहुगुणा का शपथ ग्रहण निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हो रहा है।

बहुगुणा के शपथ ग्रहण करने के बीच रावत के करीबी कांग्रेस सांसद प्रदीप टम्टा ने दिल्ली में रावत के आवास के बाहर यह कहकर खलबली मचा दी कि वे बहुगुणा को अपना नेता स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने चुनाव के दौरान पार्टी के खिलाफ काम किया था। उन्होंने कहा कि पार्टी आला कमान ने इससे पहले भी रावत के साथ खेल खेला था, जिसे एकबार फिर दोहराया गया है। उन्होंने कहा कि उस वक्त हमने इसलिए स्वीकार कर लिया क्योंकि वह तिवारी थे,जिनका काफी बड़ा कद है। इसबार हम स्वीकार नहीं करेंगे।

 

रावत का कितने विधायक समर्थन कर रहे हैं और विश्वास मत के दौरान उनकी क्या रणनीति होगी इस बारे में पूछे जाने पर टम्टा ने कहा कि वे सही समय पर अपनी रणनीति का खुलासा करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके समूह को 17 विधायकों का समर्थन हासिल है तो उन्होंने कहा कि हमारे पास उतना और उससे भी अधिक समर्थन है। हम जब जरूरत होगी तो संख्या के बारे में आपको बताएंगे। उन्होंने उन खबरों का खंडन किया कि रावत ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी या भाजपा के किसी अन्य नेता से मुलाकात या बातचीत की थी।

 

रावत के बगावत करने के बारे में पूछे जाने पर बहुगुणा ने कहा कि पार्टी किसी भी तरह के संकट से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि यह दबाव की रणनीति है। हम इससे निपट लेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि रावत कांग्रेस के सदस्य हैं और वह सांप्रदायिक शक्तियों के साथ नहीं जाएंगे।

 

First Published: Wednesday, March 14, 2012, 10:23

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