Last Updated: Monday, March 25, 2013, 22:49

जम्मू : केंद्र पर जम्मू कश्मीर के लिये ‘अलग मानदंड’ अपनाने का आरोप लगाते हुये राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को अफजल गुरु को फांसी दिये जाने और सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाने पर उसकी ‘चुनिंदा’ नीति को लेकर सवाल उठाया जबकि संदिग्ध हिज्बुल उग्रवादी लियाकत शाह गिरफ्तारी की आलोचना की।
उमर ने विधानसभा में एक चर्चा का जवाब देते हुये कहा, ‘जब मैं आफ्स्पा को हटाये जाने के बारे में बात करता हूं तो आप खतरा नहीं उठाना चाहते हैं लेकिन आप अफजल (गुरु) को फांसी दे देते हैं। आपके अंदर आफ्स्पा को हटाने का साहस क्यों नहीं है। अफजल गुरु को फांसी दिये जाने के बाद आप उसे वापस नहीं ला सकते लेकिन आफ्स्पा हटाये जाने के बाद आप इसे फिर से लागू कर सकते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘जब हम आफ्स्पा की बात करते हैं तो हमें बताया जाता है कि आप राज्य को खतरे में डाल रहे हैं। मैं. नहीं समझता हूं कि हम जम्मू कश्मीर में प्रयोग के लिये कब तैयार होंगे, क्यों हमेशा चुनिंदा नीति अपनायी जाती है, जब इस राज्य सरकार ने जोर शोर से कहा कि अफजल गुरू को फांसी दिये जाने से जम्मू कश्मीर में स्थिति खराब होगी तो आपने इसे अनदेखा कर दिया-यह आपका अधिकार था।’
उमर ने कहा कि आफ्स्पा को नक्सल प्रभावित इलाकों में नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में कोई हेलीकाप्टर नहीं गिराया गया है लेकिन जम्मू कश्मीर के लिये आपके पास अलग मानदंड हैं।’ लियाकत शाह की गिरफ्तारी पर उमर ने कहा कि वह पूर्व उग्रवादियों के लिये पुनर्वास नीति के तहत राज्य में आत्मसमर्पण के लिये आ रहा था।
उन्होंने कहा, ‘यदि एक आदमी शॉपिंग मॉल पर हमला के लिये आयेगा तो क्या वह अपनी पत्नी और बच्चे केा लेकर आयेगा ? आप बताईये। मैं पहली बार सुन रहा हूं कि एक आतंकवादी एक हाथ में अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर और दूसरे में हथियार लेकर हमले के लिये ऐसे आये जैसे कि वह पिकनिक के लिये जा रहा हो।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने गृहमंत्री से कहा है कि एनआईए को इस मामले की जांच करनी चाहिये। उन्होंने कहा, ‘हमने इस मुद्दे को केंद्र के साथ उठाया है क्योंकि हम जानते हैं कि यदि लियाकत के साथ गलत हुआ तो अन्य लोग जो आत्मसमर्पण की नीति का लाभ उठाना चाहते हैं, वे पीछे हट जायेंगे।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बात का कोई खंडन नहीं कर रहा है कि संसद पर हुआ हमला गलत था लेकिन कश्मीरी यह सवाल कर रहे हैं कि अफजल केा फांसी पर अदालत से वैसे ही स्थगन नहीं मिला जैसेकि वीरप्पन के सहयोगियों को मिला या पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की तरह का भाग्य अफजल का भाग्य क्यों नहीं रहा जबकि उनका कृत्य भी लोकतंत्र पर हमला था। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 25, 2013, 22:49