Last Updated: Monday, March 12, 2012, 15:57
नई दिल्ली : गुजरात सरकार की आपत्तियों की अनदेखी करते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) ने सोमवार को आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट का पक्ष सुना। उन्होंने साल 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के संलिप्त होने का आरोप लगाया था। भट्ट को उस याचिका पर एनसीएम ने अपने समक्ष तलब किया था, जिसमें दंगों से संबंधित कुछ साक्ष्यों को कथित तौर पर नष्ट किए जाने का हवाला देते हुए कुछ पुलिस अधिकारियों का बयान दर्ज करने की मांग की गई थी।
भट्ट ने एक आवेदन देकर राज्य सरकार से कुछ घटनाओं और साल 2002 में पुलिस की ओर से दी गई प्रतिक्रिया से संबंधित कुछ दस्तावेज मांगे। अहमदाबाद के जूहापुरा की निवासी नियाजबीबी की याचिका पर कार्रवाई करते हुए एनसीएम ने आईपीएस अधिकारियों भट्ट, राहुल शर्मा और आर बी श्रीकुमार को तलब किया था। इन अधिकारियों ने दंगों के दौरान मोदी सरकार की कथित भूमिका को लेकर राज्य सरकार से टकराव मोल ले लिया है।
भट्ट जहां आयोग के समक्ष उपस्थित हुए वहीं अन्य अधिकारियों ने सुनवाई के लिए उपस्थित होने के लिए आगे की तारीख देने की मांग की है। गुजरात सरकार ने अपने अधिवक्ता देवांग व्यास के जरिए आयोग से कहा कि वह मामले पर सुनवाई नहीं करे क्योंकि इस मामले की पहले ही जांच की जा रही है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, March 12, 2012, 21:27